छत्तीसगढ़: कांकेर में नक्सलियों का तांडव, करीब 44 लाख रूपए का तेंदूपत्ता जलाकर किया खाक

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के कांकेर जिले में 3 जून की रात नक्सलियों (Naxalites) ने उपद्रव मचाया। नक्सलियों ने सुरेवाही और कोयलीबेड़ा के तेंदूपत्ता अस्थाई गोदाम में आग लगा दी। इस आगजनी में सुरेवाही में तेंदूपत्ता से भरे 1222 बोरे जलकर खाक हो गए।

Naxalites

नक्सलियों ने सुरेवाही और कोयलीबेड़ा के तेंदूपत्ता अस्थाई गोदाम में आग लगा दी।

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के कांकेर जिले में 3 जून की रात नक्सलियों (Naxalites) ने उपद्रव मचाया। नक्सलियों ने सुरेवाही और कोयलीबेड़ा के तेंदूपत्ता अस्थाई गोदाम में आग लगा दी। इस आगजनी में सुरेवाही में तेंदूपत्ता से भरे 1222 बोरे जलकर खाक हो गए। वहीं, कोयलीबेड़ा में नक्सलियों (Naxals) द्वारा लगाई गई आग को मजदूरों ने हिम्मत दिखाते हुए भड़कने से पहले ही बुझाकर और बड़े नुकसान को रोक दिया।

स्थानीय लोगों के अनुसार, इस घटना को नक्सलियों (Naxalites) ने अंजाम दिया है जबकि पुलिस (Police) का कहना है कि आग नक्सलियों ने लगाई है या असामाजिक तत्वों ने यह जांच के बाद ही सामने आएगा। बता दें कि सिकसोड़ थाना के सुरेवाही गांव में चारगांव तेंदूपत्ता समति ने अपना अस्थाई गोदाम बनाया है। इसमें चारगांव के हजारों तेंदूपत्ते के बोरों को सुरेवाही में डंप किया गया है।

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प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, 3 जून की रात करीब 11 बजे अंधेरे में कुछ नक्सली (Naxali) पहुंचे थे। चारगांव तेंदूपत्ता समिति द्वारा सुरेवाही में बनाए तेंदूपत्ता गोदाम के एक हिस्से में आग लगा दी। घटना को अंजाम देकर वे वहां से भाग निकले। लेकिन नक्सलियों के डर की वजह से यहां मौजूद लोगों में कोई भी आग बुझाने सामने नहीं आया। इससे तेंदूपत्ते से भरे 1222 बोरे जलकर पूरी तरह खाक हो गए।

इसी रात 11 बजे नक्सलियों का दूसरा दस्ता कोयलीबेड़ा में बने तेंदूपत्ता गोदाम में पहुंचा। यहां कामतेड़ा की समिति ने तेंदूपत्ता डंप किया था, जिसमें नक्सलियों (Naxalites) ने आग लगा दी। नक्सलियों के जाते ही यहां मौजूद मजदूरों ने तत्काल अपने स्तर पर आग को बुझाना शुरू कर दिया, जिससे आग भड़कने के पहले ही उस पर काबू पा लिया गया।

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हालांकि, यहां भी कुछ बोरे आग की चपेट में आया। इस आगजनी में सुरेवाही गोदाम में बड़ा नुकसान हुआ है, जबकि कोयलीबेड़ा में आग बुझा देने से बड़ा नुकसान होने से बच गया। बता दें कि एक बोरे में लगभग 8 सौ से एक हजार बंडल तेंदूपत्ता भरा होता है। एक बंडल की कीमत 4 रूपए है और एक बोरे में करीब 9 सौ बंडल होते हैं। इस हिसाब से उसकी कीमत 3600 रूपए होती है। इस तरह 1222 बोरा तेंदूपत्ता के जलने से करीब 43.99 लाख रूपए का नुकसान हुआ है।

बताया जा रहा है कि नक्सलियों (Naxalites) द्वारा तेंदूपत्ता को आग लगाने के पीछे ठेकेदार को नुकसान पहुंचाने का मकसद है। सूत्रों के अनुसार, नक्सल इलाकों में काम करने के लिए ठेकेदार नक्सलियों से सांठगांठ करते हैं। किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाने के एवज में नक्सलियों (Naxals) तक पैसा पहुंचाया जाता है। यही पैसा समय पर नहीं पहुंचने से नक्सली इसी तरह के वारदात को अंजाम देकर ठेकेदार को चेतावनी देते रहते हैं। इस घटना के पीछे भी आशंका जताई जा रही है कि यह लेनदेन का मामला हो सकता है।

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