छत्तीसगढ़ नक्सली हमले में शहीद हुये जवान बब्लू राभा के परिवार की पीड़ा-वेदना, जान गंवाकर भी निभाया घर आने का वादा

शहीद बब्लू पिछली वर्ष दिसंबर में घर आये थे, तब उन्होंने अपने सपनों का आशियाना बनवाने का काम शुरू करवाया था, ऐसे में उनके चले जाने के बाद वो काम भी अधूरा रह गया।

Babloo Rabha

छत्तीसगढ़ के बीजापुर में हुये नक्सली हमले में शहीद हुये जवानों में एक नाम बब्लू राभा (Babloo Rabha) का भी है। असम के गोलपारा के रहने वाले 33 वर्षीय बब्लू राभा ने पिछली 31 मार्च को अपनी पत्नी से फोन पर बात करके 5 अप्रैल को घर आने का वादा किया था। बब्लू राभा असम विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण के चुनाव में अपना मतदान करने घर आने वाले थे। लेकिन देश की सुरक्षा में तैनात इस सीआरपीएफ (CRPF) जवान और उसके परिवार को अंदेशा ही नहीं था कि वो 5 अप्रैल को घर तो पहुंचेगा, लेकिन मतदान के लिए बल्कि अपनी अंतिम यात्रा के लिए।

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पिछले रविवार को छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सलियों के साथ हुये एनकाउंटर में 22 जवान शहीद हो गए थे। इनमें बब्लू राभा (Babloo Rabha) भी शामिल थे। बब्लू सीआरपीएफ की 210वीं कोबरा बटालियन में सेवारत थे। उन्होंने 2009 में कोबला बटालियन यूनिट में शामिल हुये थे।

5 अप्रैल को जब शहीद बब्लू राभा (Babloo Rabha) का शव जैसे ही उनके पैतृक गांव पहुंचा, वैसे ही चारों तरफ शोक की लहर दौड़ गई। शहीद की बीमार मां, पत्नी और 7 साल की बेटी का रो-रो कर बुरा हाल हो गया, क्योंकि बब्लू ही अपने परिवार के मुखिया और इकलौते कमाने वाले व्यक्ति थे। ऐसे में अचानक उनके ऐसे चले जाने के बाद परिजनों ने अपने जीवन का सहारा भी खो दिया।

शहीद बब्लू पिछली वर्ष दिसंबर में घर आये थे, तब उन्होंने अपने सपनों का आशियाना बनवाने का काम शुरू करवाया था, ऐसे में उनके चले जाने के बाद वो काम भी अधूरा रह गया। शहीद के मातम में गमगीन परिवार के एक रिश्तेदार ने सरकार से अपील की है कि देश की सुरक्षा में अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले भारत माता के इस सपूत के परिवार की जिम्मेदारी अब सरकार को निभानी चाहिये।

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