सरहद पार के आतंकियों की अब खैर नहीं, इस नये ट्रेनिंग मॉड्यूल से अपने जवानों को फौलाद बना रही बीएसएफ

बीएसएफ के महानिदेशक राकेश अस्थाना ने अपने जवानों की क्षमता को बढ़ाने के लिए एमईआरयू कैंप में नवनिर्मित बीओएसी कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन किया, जो बीएसएफ जवानों को ट्रेनिंग प्रदान कर रहा है।

Militants

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पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय सीमा के उस पार से लगातार भारत में आतंकियों (Militants) की घुसपैठ कराने की कोशिश में लगा हुआ है। ऐसे में पाक की इस हरकत का माकूल जवाब देने के लिए सरहद की चौकसी में लगी सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने अपने जवानों की ट्रेनिंग मॉड्यूल में बदलाव किया है। इसके तहत बीएसएफ ने एक नई ट्रेनिंग सिस्टम को अपनाया है। क्योंकि जम्मू कश्मीर के अलावा अब राजस्थान के अंतर्राष्ट्रीय सीमा की तरफ पाक की खूफिया एजेंसी आईएसआई आतंकियों की घुसपैठ की फिराक में है। 

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बीएसएफ ने ये पहल ऐसे समय में की है, जब भारतीय सेना नियंत्रण रेखा के साथ अपने सुरक्षा ग्रिड को मजबूत करने के काम में लगी है। एक शीर्ष आईपीएस अधिकारी के अनुसार, पाक ना सिर्फ आतंकियों (Militants) को, बल्कि इन इलाकों में हथियारों और ड्रग्स की खेप भी भारत में भेज रहा है। इसके लिए पाकिस्तान लगातार भूमिगत सुरंगों और ड्रोन की मदद ले रहा है। ऐसे में घाटी में हथियारों व ड्रग्स की तस्करी के साथ-साथ आतंकियों (Militants) को भारतीय सीमा में प्रवेश कराने की आईएसआई की भूमिका को ध्यान में रखते हुए ही बीएसएफ ने जवानों की ट्रेनिंग गुणवत्ता को अगले स्तर तक बढ़ाने के लिए अपने बैटल ऑब्सटेकल असॉल्ट कोर्स (बीओएसी) को अपग्रेड किया है।

बीएसएफ (BSF) के जवानों को अब संशोधित बीओएसी ट्रेनिंग सिस्टम गुजरना होगा, जिसमें 26 तरह के बैटल फील्ड ऑब्सटेकल शामिल हैं। रेंजर्स स्विंग, स्पाइडर वेब, पैरेलल रोप, पेट्रोलियम टावर्स, टाइगर लीप, बर्मा ब्रिज, टार्जन स्विंग और सक्सेसिव ड्रॉप 26 बीओएसी में से एक हैं। जो बीएसएफ अपने सभी जवानों को प्रदान करती है। इसके अलावा सीट रैपलिंग, फ्री रैपलिंग, कैजुअल्टी इवैक्यूएशन रैपलिंग, कृत्रिम दीवार पर चढ़ना, फ्री फिक्स नॉटेड झूमर चढ़ाई, और टीम स्लाईटरिंग अन्य ऑब्सटेकल कोर्सेस में से हैं। ये सभी बीएसएफ जवानों की ताकत बढ़ाने के लिए तैयार किए गए हैं। ये ट्रेनिंग जवानों को फील्ड ड्यूटी के दौरान असाधारण परिस्थितियों से निपटने में क्षमतावान बनाते हैं।

बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, बढ़ते खतरों और बदलती तकनीकों के कारण इन संशोधित पाठ्यक्रमों के माध्यम से बीएसएफ (BSF) के जवानों को ट्रेनिंग की आवश्यकता है। क्योंकि 3,323 किलोमीटर लंबी भारत-पाकिस्तान और 4,096 किलोमीटर लंबी भारत-बांग्लादेश बॉर्डर की सुरक्षा के लिए 2.50 लाख जवानों के साथ मजबूत बल के लिए ऐसी तैयारी जरूरी हो जाती है।

अधिकारी ने बताया कि फर्स्ट लाइन ऑफ कंट्रोल के तौर पर ये हमारी जिम्मेदारी है कि हम न केवल हमलावरों से, बल्कि आतंकवादी घुसपैठ और ड्रग्स व हथियारों की तस्करी पर भी लगाम लगाएं। वहीं बीएसएफ के महानिदेशक राकेश अस्थाना ने अपने जवानों की क्षमता को बढ़ाने के लिए एमईआरयू कैंप में नवनिर्मित बीओएसी कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन किया, जो बीएसएफ जवानों को ट्रेनिंग प्रदान कर रहा है। साथ ही नए बुनियादी ढांचे और पहलों से बीएसएफ कर्मचारियों की ट्रेनिंग की गुणवत्ता अगले स्तर तक बढ़ जाएगी।

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