
Martyr Devendra Singh
जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के केरन सेक्टर में आतंकवादियों से मुठभेड़ (Terrorist Encounter) में उत्तराखंड के जवान हवलदार देवेंद्र सिंह (Martyr Devendra Singh) शहीद हो गए। शहीद हवलदार देवेंद्र सिंह राणा का पार्थिव शरीर तिरंगे में लिपटे ताबुत के साथ जैसे ही गांव पहुंचा हर कोई रो पड़ा। बुजुर्ग पिता बेटे के शव को देखकर बेहोश हो गए। वहीं, शहीद का 11 साल का बेटा आयुष यह सब एकटक देखता रहा।

मुख्यमंत्री ने दी श्रद्धांजलि: हेलीकॉप्टर से शहीद हवलदार देवेंद्र सिंह (Martyr Devendra Singh) का पार्थिव शरीर चारधाम हेलीपैड पहुंचा। यहां पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत ने शहीद को पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। इसके बाद सीएम और गढ़वाल के सांसद ने शहीद के पार्थिव शरीर को कांधा लगाया और सेना के वाहन तक पहुंचाया। जहां से शहीद का पार्थिक शरीर पैतृक रुद्रप्रयाग जिले के तिनसोली गांव के लिए रवाना हुआ।
परिवार का एकमात्र सहारा थे हिमाचल के शहीद सूबेदार संजीव कुमार
बेटे को ताबुत में देख पिता हो गए बेसुध: तिरंगे में लिपटे शहीद का पार्थिव शरीर जैसे ही घर पहुंचा, बेटे को ताबुत में लेटा देख पिता भूपाल सिंह बेहोश हो गए। जैसे-तैसे छोटे बेटे रवींद्र ने पिता को सहारा दिया। वहीं, शहीद की पत्नी विनीता देवी और माता कुंवरी देवी रो-रोकर बार-बार बेहोश होती रहीं। इन सबके बीच शहीद की 14 साल की बेटी आंचल सुबकते हुए यह सब देख रही थी। लेकिन आंचल के 11 साल के भाई आयुष को कुछ समझ नहीं आ रहा था। वह कभी ताबुत को एकटक देखता, कभी अपने रोते हुए दादा को तो कभी बेसुध मां और दादी के चेहरे को निहारते रहा।
बेटे के शहीद होने की खबर रात भर सीने में दबा ली, पार्थिव शरीर देख परिजनों के निकले आंसू
मुठभेड़ में जाने के एक घंटा पहले की थी घरवालों से बात: लगभग ढाई बजे पार्थिव शरीर भीरी स्थिति पैतृक घाट पर लाया गया। शहीद देवेंद्र राणा की अपने परिवार के साथ आखिरी बातचीत 4 अप्रैल को हुई। छोटे भाई रवींद्र ने बताया कि भाई ने मुठभेड़ में जाने से लगभग एक घंटा पहले बातचीत किया था। फोन पर उन्होंने कहा था-‘एक खास मिशन पर जा रहा हूं, उसे पूरा करने के बाद तुमसे बात करूंगा।’ लौटकर फिर बात करेंगे। लेकिन, 6 अप्रैल की सुबह उनके शहीद होने की खबर आई। बता दें कि शहीद देवेंद्र सिंह (Martyr Devendra Singh) का परिवार ऋषिकेश में रहता है। जबकि माता-पिता गांव में रहते हैं।
नारों से गूंज उठा इलाका: लगभग 12 मिनट तक पैतृक घर में रखने के बाद शहीद के पार्थिव शरीर को पैतृक घाट के लिए विदा किया गया। इस दौरान पूरा गांव ‘देवेंद्र सिंह राणा अमर रहे…’, ‘जब तक सूरज-चांद रहेगा, देवेंद्र तेरा नाम रहेगा…’ के नारों से गूंजता रहा। शहीद देवेंद्र सिंह राणा की मंदाकिनी नदी किनारे पैतृक घाट पर सैन्य सम्मान के साथ अंत्येष्टि की गई। शहीद के छोटे भाई रवींद्र सिंह राणा ने चिता को मुखाग्नि दी।
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