कारगिल युद्ध: …जब मिग विमानों के जरिए Air Force ने पाक के कब्जे वाले इलाकों पर गिराए बम

कारगिल युद्ध में सेना को लीड करने वाले कई अधिकारियों ने कई मौकों पर कहा है कि भारतीय वायुसेना के हवाई हमले से दुश्मन का मनोबल टूटा था।

Indian Air Force

मिग-27 एयरक्राफ्ट। (फाइल फोटो)

कारगिल युद्ध में सेना को लीड करने वाले कई अधिकारियों ने कई मौकों पर कहा है कि भारतीय वायुसेना के हवाई हमले से दुश्मन का मनोबल टूटा था।

कारगिल युद्ध में वायुसेना ने अहम भूमिका अदा की थी। वायुसेना ने कई सफल ऑपरेशन को बखूबी निभाकर थल सेना के साथ मिलकर शानदार प्रदर्शन किया था। पाकिस्तानी सैनिक ऊंचाई वाले इलाकों पर डेरा जमाए बैठे थे। ऊंचाई पर कब्जा जमाकर खुद को फायदे में समझ रहे पाक सैनिकों पर वायुसेना बम वर्षा की थी। मिग-27 और मिग-29 के जरिए पाकिस्तान के कब्जे वाले इलाकों पर बम गिराए गए थे। इस दौरान कई ठिकानों पर आर-77 मिसाइलों से हमला किया गया था।

कारगिल युद्ध में सेना को लीड करने वाले कई अधिकारियों ने कई मौकों पर कहा है कि भारतीय वायुसेना के हवाई हमले से दुश्मन का मनोबल टूटा था। वायुसेना ने 32 हजार फीट की ऊंचाई से जम्मू कश्मीर के द्रास-कारगिल इलाके में टाइगर हिल पर एयर पावर का इस्तेमाल किया था। वायु सेना ने इस दौरान 15,000 फीट और उससे अधिक ऊंचाई पर स्थित पोस्ट पर हथियार पहुंचाए थे। 

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1999 में जितना अहम रोल आर्मी का था उतना ही वायुसेना का भी था। युद्ध के दौरान इंडियन एयर फोर्स ने दुश्मनों का सफाया करने के लिए ऑपरेशन ‘सफेद सागर’ चलाया था। ऑपरेशन सफेद सागर में मिराज 2000 विमानों का इस्तेमाल किया और दुश्मन को कमरतोड़ जवाब देते हुए जमकर बमबारी की।

मिराज 2000 की खासियत है कि इनमें लेजर गाइडेड बमों से हमला करने की क्षमता है। ऊंची पहाड़ियों पर दुश्मन को हराने के लिए वायुसेना का बखूबी इस्तेमाल किया जाता है। अक्सर युद्ध की स्थिति में वायुसेना की भूमिका अहम हो जाती है।

वहीं 1999 में जैसे ही भारत को इस घुसपैठ की जानकारी मिली तो सेना ने मिग-27 के जरिए युद्ध का आगाज किया गया था। वायुसेना के इन खतरनाक हथियारों के जरिए दुश्मनों को बड़ा नुकसान झेलना पड़ा था और ऊंचाई पर होने के बावजूद उनका मनोबल पूरी तरह से टूट कर बिखर गया था। 

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