पाकिस्तानी पत्रकार नसीम जहरा की किताब ‘फ्रॉम कारगिल टू द कॉपः इवेंट्स डैट शूक पाकिस्तान’ में पाकिस्तान के मंसूबे क्या थे इसका जिक्र किया गया है।
कारगिल युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में लड़ा गया था। 1999 की सर्दियों में ही पाकिस्तान ने इसकी साजिश रच दी थी। एक तरफ भारत पाकिस्तान पर भरोसा कर रहा था दूसरी तारीफ पाक सेना श्रीनगर-लेह राजमार्ग को बंद करने की फिराक में थी। कारगिल के सामरिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर कब्जा कर पाकिस्तान कश्मीर पर अपनी पकड़ मजबूत बनाना चाह रहा था।
पाकिस्तानी पत्रकार नसीम जहरा की किताब ‘फ्रॉम कारगिल टू द कॉपः इवेंट्स डैट शूक पाकिस्तान’ में पाकिस्तान के मंसूबे क्या थे इसका जिक्र किया गया है। किताब में कहा गया है कि पाक सेना श्रीनगर-लेह राजमार्ग को बंद करने करना चाह रही थी ताकि केंद्र सरकार की तरफ से कश्मीर घाटी में तैनात सेना तक हथियारों की पहुंच को बंद करवाया जा सके। श्रीनगर-लेह राजमार्ग के जरिए ही सेना तक हथियार पहुंचाए जाते हैं।
लेकिन भारतीय सेना ने पाकिस्तान की इस हरकत का मुंह तोड़ जवाब दिया और एक-एक कर ऑपरेशन लॉन्च कर पाक सेना के कब्जे वाले इलाकों में तिरंगा फहराया। इस युद्ध में पाकिस्तान के करीब 500 से ज्यादा सैनिक मौत के घाट उतार दिए गए। पाकिस्तानी सेना भारत प्रशासित कश्मीर में पहाड़ की कुछ चोटियों पर कब्जा करने की फिराक में थी लेकिन उसके मंसूबों पर पानी फेर दिया गया।
बता दें कि कारगिल युद्ध में भारत की जीत को 20 से ज्यादा साल हो गए हैं। 26 जुलाई को एकबार फिर कारगिल फतह करने पर हर साल की तरह इसबार भी कारगिल विजय दिवस मनाया जाएगा। कारगिल का नाम सुनते ही भारतीय जवानों के बहादुरी के कई किस्से सामने आते हैं। इस युद्ध में भारत के कई युवा सैनिकों ने अपनी जान की बाजी लगाकर देश को जीत दिलाई थी।
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