कारगिल लड़ाई में बोफोर्स तोपें सेना के खूब काम आई थीं, जानें इनकी खूबी

बोफोर्स तोपें 27 किलोमीटर की दूरी तक गोले दाग सकती हैं। हल्के वजन के वजह से इसे युद्धभूमि में कही भी तैनात करना और यहां-वहां ले जाना आसान होता है।

Bofors

Bofors (File Photo)

Kargil War 1999: बोफोर्स (Bofors) तोपें 27 किलोमीटर की दूरी तक गोले दाग सकती हैं। हल्के वजन के वजह से इसे युद्धभूमि में कही भी तैनात करना और यहां-वहां ले जाना आसान होता है।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में लड़े कारगिल युद्ध (Kargil War 1999) में बोफोर्स (Bofors) तोपें सेना के खूब काम आई थीं। बोफोर्स तोपों ने इस युद्ध में दुश्मन देश को काफी नुकसान पहुंचाया था। पाकिस्तानी सेना के सैनिक इन तोपों के सामने एक तरह से नेस्तनाबूद हो गए थे।

ऐसा इसलिए क्योंकि यह तोप दुनिया की घातक तोपों में शुमार है। बोफोर्स तोपें 27 किलोमीटर की दूरी तक गोले दाग सकती हैं। हल्के वजन के वजह से इसे युद्धभूमि में कही भी तैनात करना और यहां-वहां ले जाना आसान होता है।

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155एमएम लंबी बैरल वाली यह तोप एक मिनट में 10 गोले दागने की ताकत रखती है। तोप की सबसे बड़ी खासियत इसे -3 डिग्री से लेकर 70 डिग्री के ऊंचे कोण तक फायर करने की है। इस खासियत से यह तोप पहाड़ी इलाकों में भी आसानी से एक जगह से दूसरी जगह पर फिट की जा सकती है।

यह जमीन के अंदर बंकर में बैठे दुश्मन को भी मार गिराती है। कारगिल वॉर (Kargil War 1999) के समय भी दुश्‍मन इस तरह से छिपकर बैठा था कि उसका अंदाजा सेना को लग ही नहीं पा रहा था। ऐसे में इस तोप ने अहम भूमिका निभाई थी।

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अगर ये कहा जाए कि इन तोपों की वजह से हमारे सैनिकों ने युद्ध का रुख अपनी ओर मोड़ लिया था तो गलत नहीं होगा। किसी भी जंग को जीतने के लिए सैनिकों के साहस के साथ-साथ बेहतरीन क्वालिटी वाले हथियार भी जरूरी होते हैं।

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