Kargil War: हमारी खुफिया एजेंसी RAW ने टैप किया था मुशर्रफ का फोन! जानें क्या था मामला
कई सालों तक पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निजी सचिव रह चुके शक्ति सिन्हा ने अपनी किताब 'Vajpayee: The Years That Changed India' में इस बात का खुलासा किया है।
कारगिल युद्ध से पहले भारत-पाकिस्तान के बीच क्या चल रहा था? कैसे बढ़ा संघर्ष
Kargil War: 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद भी कई सैन्य संघर्ष होते रहे। दोनों देशों द्वारा परमाणु परीक्षण की वजह से भी तनाव और बढ़ गया था।
कारगिल युद्ध में चुनौतियां थीं बड़ी, पर सेना के हौसलों के आगे सारी हुईं पस्त
पाकिस्तान जिन पोस्टों पर था वहां से सैनिकों के मूवमेंट और स्ट्रैटजी को पहले ही जाना जा सकता था। पाकिस्तान ने कारगिल के ऊंचाई वाले सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इलाकों पर धोखे से कब्जा किया हुआ था।
Kargil War: जब 80mm की तोप से लैस तीन विमानों ने की थी ताबड़तोड़ बमबारी
सेना के सामने यही सबसे बड़ी चुनौती थी कि वे इन पोस्टों को अपने कब्जे में वापस कैसे ले। पाकिस्तान जिन पोस्टों पर था वहां से सैनिकों के मूवमेंट और स्ट्रैटजी को पहले ही जाना जा सकता था।
कारगिल लड़ाई में बोफोर्स तोपें सेना के खूब काम आई थीं, जानें इनकी खूबी
बोफोर्स तोपें 27 किलोमीटर की दूरी तक गोले दाग सकती हैं। हल्के वजन के वजह से इसे युद्धभूमि में कही भी तैनात करना और यहां-वहां ले जाना आसान होता है।
Kargil War 1999: करीब 2 लाख सैनिकों के कंधों पर था ‘ऑपरेशन विजय’ का जिम्मा
युद्ध के दौरान बतरा टॉप, टाइगर हिल, तोलोलिंग टॉप पर करगिल युद्ध के दौरान की ऊंची बर्फीली चोटियों पर छुपकर बैठे दुश्मन को भारतीय सेना के वीर जवानों ने अपनी जान पर खेलकर मार भगाया था।
‘तिरंगे में लिपटकर लौटूंगा, पर वादा है कि दुश्मनों को भी जिंदा नहीं छोड़ूंगा’- जवान सुरेंद्र ने मां से कही थी ये बात
Indian Army: कुछ सैनिक ऐसे थे जो जंग के मैदान में शहीद हो गए थे। ऐसे ही एक जवान सुरेंद्र भी थे। सुरेंद्र ने अपने साथियों के साथ ऐसा हमला किया कि पाक के करीब 20 जवान मौके पर ही ढेर हो गए थे।
इस तरह तोलोलिंग के लिए हुआ था प्लान तैयार, 1999 की जीत का अहम हिस्सा रही ये फतह
कारगिल की लड़ाई में तोलोलिंग की जीत बहुत जरूरी थी तो गलत नहीं होगा। यह सामरिक रूप से बेहद ही महत्वपूर्ण जगह थी। सेना इस पर लगातार फतेह की कोशिश कर रही थी।
Kargil War 1999: मिराज-2000 की भीषण बमबारी से थर-थर कांप उठी थी पाकिस्तानी सेना
Kargil War 1999: 16,700 फीट ऊंची टाइगर हिल पर कब्जा करने की कोशिश में ही यह हमले किए गए थे। यह पहला मौका था जब इतनी ऊंचाई पर इस तरह के हथियार का इस्तेमाल हुआ था।
कारगिल युद्ध के दौरान ऐसा था हवलदार मुश्ताक अली का अनुभव, आंखों के सामने साथियों ने तोड़ा था दम
'मेरी आंखों के सामने राजपूत रेजीमेंट के तीन जवान शहीद हो गए। उन दिनों सिर्फ मौत का खतरा मंडराया रहता था लेकिन देशसेवा का इससे बड़ा मौका हमें नहीं मिलने वाला था।'
…जब युद्ध से पहले ही पाक सैनिकों और आतंकियों ने कारगिल के ऊंचे इलाकों पर कर लिया कब्जा
पाकिस्तानी सेना कई गुना फायदे में थी, क्योंकि हमारे जवान नीचे से ऊपर की ओर चढ़ाई कर लड़ने आ रहे थे। दुश्मनों के पास पहुंचने के लिए कई-कई किलोमीटर चढ़ाई करनी पड़ी थी।
Kargil War: 1999 का युद्ध और 26 जुलाई को भारतीय सेना का कब्जा
युद्ध में उस वक्त बड़ा मोड़ आया जब पाकिस्तान ने अपनी खस्ता हालत देख अमेरिका से मदद मांगी थी। हालांकि तब अमरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने पाकिस्तान को एलओसी से पीछे हटने के लिए कहा था।
कारगिल युद्ध: भारत के लिए संकट मोचक बनकर उभरा था इजराइल
भारतीय सेना (Indian Army) ने जंग में दुश्मन का सामना करने के लिए मिराज विमानों में इजराइली किट का इस्तेमाल किया था, जिसे इजरायल (Israel) लिटनिंग लेजर डिजाइनर पॉड कहते हैं।
Kargil War: …जब इजरायल ने बड़ी ताकतों के दबाव के बावजूद की थी भारत की मदद
इजरायल (Israel) सीमा नियंत्रण और आतंकवाद का मुकाबला करने में प्रौद्योगिकी और अनुभव वाला देश है। इजरायल का बीते कई दशकों से फ्लीस्तीन के साथ सीमा विवाद चल रहा है।
कारगिल युद्ध: रूस ने की थी भारत की मदद, किए थे हथियार सप्लाई
Kargil War: किसी भी जंग को जीतने के लिए बेहतर क्वालिटी के हथियारों की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। ऐसे हथियार रूस के पास थे और उन्होंने हमें दिए।
Kargil War:…जब युद्ध के दौरान इजराइल भारत के साथ आया, पाकिस्तानी सेना को छठी का दूध याद दिलाया
Kargil War: इजरायल ने जरूरी हथियार और गोला बारूद भी उपलब्ध करवाए। ऐसी डिवाइस भी भेजी जिन्हें लड़ाकू जहाज में लगाकर सही टारगेट पर हमला किया जा सकता था।
कारगिल युद्ध: 4 जुलाई को ही जीत तय हो गई थी, ये था इस लड़ाई का टर्निंग पॉइंट
Kargil War: टाइगर हिल की लड़ाई को कारगिल की लड़ाई का टर्निंग पॉइंट भी कहा जाता है। 4 जुलाई को ही भारत की विजय निश्चित हो गई थी।