झीरम घाटी नक्सली हमला: 2013 में 29 लोगों की हत्या करने के बाद नक्सलियों ने मनाया था जश्न

घायल चश्मदीदों के मुताबिक पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा की लाश पर नक्सलियों ने जमकर तमाशा किया था। नक्सली लाश पर घेर बनाकर काफी देर तक नाचते रहे थे।

Naxalites

सांकेतिक तस्वीर

Jheeram Naxal Attack 2013: घायल चश्मदीदों के मुताबिक पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा की लाश पर नक्सलियों ने जमकर तमाशा किया था। नक्सली इस नेता की लाश पर घेरा बनाकर काफी देर तक नाचते रहे थे। 

नक्सलियों ने कई मौकों पर पुलिस फोर्स और आम नागरिकों को अपने हमले का शिकार बनाया है। 2013 में नक्सलियों ने कांग्रेस नेताओं के काफिले पर हमला कर 29 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। नक्सलियों ने इस हमले के जरिए दिखा दिया था कि वे कितने खतरनाक हैं और देश के लिए सबसे बड़े कलंक हैं। हमारी पुलिस फोर्स नक्सलियों के खिलाफ कहर बनकर टूटती है। जंगलों में उनके गढ़ में घुसकर सीने पर वार करती है।

2013 में नक्सलियों बेहद ही चालाकी के साथ यह हमला किया था। मरने वालों में कांग्रेस नेता समेत स्थानीय लोग भी शामिल थे। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के दरभा वैली में नक्सलियों ने 25 मई 2013 के दिन इस हमले को अंजाम दिया था। इसे झीरम घाटी हमले के नाम से भी जाना जाता है। हमले में पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा, नंदकुमार पटेल समेत कई बड़े नेता और सुरक्षाकर्मी मारे गए थे।

नक्सलियों ने लोगों को मौत के घाट उतारने के बाद जश्न मनाया था। हमले के बाद घायल चश्मदीदों ने इस संबंध में विस्तार से जानकारी दी थी। इन जानकारियों से यह साफ हो गया था कि नक्सलियों ने इस हमले के जरिए मानवता की सारी हदों को पार कर दिया था। अपने देश में रहकर अपने ही लोगों पर हमला करने वाला यह वर्ग सिर्फ और सिर्फ खात्मे के लायक है। इस हमले ने देशवासियों का खून खौला दिया था।

घायल चश्मदीदों के मुताबिक पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा की लाश पर नक्सलियों ने जमकर तमाशा किया था। नक्सली इस नेता की लाश पर घेर बनाकर काफी देर तक नाचते रहे थे। नक्सलियों ने हमला तो किया, साथ ही साथ बेखौफ होकर उस जगह पर काफी देर तक जश्न भी मनाया था। उन्हें किसी बात का डर नहीं था। उनके सिर पर सिर्फ खून और जश्न सवार था।

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घायल कांग्रेस नेता डॉ. शिवनारायण द्विवेदी के मुताबिक हमले से पहले नक्सली कुछ नेताओं के नाम ले रहे थे। उन्होंने इस दौरान नंद कुमार पटेल, महेंद्र कर्मा, दीपक और सत्यनारायण शर्मा का नाम लिया था। बार-बार नाम पूछने पर जब किसी ने कुछ नहीं बोला तो नक्सली एकाएक गुस्से में आ गए थे। उन्होंने फिर कार में सवार लोगों को एक-एक कर निकालकर मारना शुरू कर दिया था।

लाशें बिछाते जा रहे नक्सली इस दौरान माओवाद जिंदाबाद का नारा लगा रहे थे। इसके साथ ही वह यह भी कह रहे थे कि उनके खिलाफ चलाए जा रहे ‘ग्रीन हंट ऑपरेशन’ को बंद किया जाए। वे कह रहे थे कि अगर ये ऑपरेशन बंद नहीं किया गया तो बाकी के नेता भी नहीं बचेंगे। वे लाश पर अपनी बंदूक के पीछे वाले हिस्से से भी वार कर रहे थे। वे लाश के साथ बर्बरता करने से भी पीछे नहीं हट रहे थे।

बताया जाता है कि इस हमले के लिए 90 महिलाओं को भी ट्रेनिंग दी गई थी। आंध्र प्रदेश के बड़े नक्सली रमन्ना का खासा बताया जाने वाला पांडू भी एक नक्सली ट्रेनर है। जो कि इस ट्रेनिंग में शामिल हुआ था। नक्सली चुनाव से पहले या चुनाव के दौरान इस तरह के बड़े हमलों को अंजाम देते आए हैं। कई बार उनके इन नापाक मंसूबों को फेल किया गया है तो कई बार वे हमला करने में कामयाब हुए हैं।

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