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Indian Army: टैंक एक तरह की बख्तरबंद लड़ाकू गाड़ी होती है। जिसे फ्रंट-लाइन से निपटने के लिए डिजाइन किया जाता है। इस पर आम गोला बारूद का कोई खास असर नहीं होता।
भारतीय सेना (Indian Army) और पाकिस्तानी सेना के बीच 1965 के युद्ध के दौरान टैंक का इस्तेमाल किया गया था। 1971 के युद्ध में टी-55 टैंक और 1999 के कारगिल युद्ध में बोफोर्स ने दुश्मनों को धूल चटा दी थी। युद्ध में टैंक सबसे भारी भरकम हथियार होता है। टैंक दुश्मनों को भारी नुकसान पहुंचाने वाला हथियार है। युद्ध में इसकी भूमिका अहम मानी जाती है।
टैंक एक तरह की बख्तरबंद लड़ाकू गाड़ी होती है। जिसे फ्रंट-लाइन से निपटने के लिए डिजाइन किया जाता है। टैंकों में भारी गोलाबारी और आम गोला बारूद का कोई खास असर नहीं होता। इसकी बनावट कुछ इस तरह से होती है कि यह इसके अंदर बैठे जवानों को मजबूत सुरक्षा कवच प्रदान करती है। इसमें बेहद शक्तिशाली इंजन लगा होता है। मैदान और रेगिस्तान में टैंक बड़े काम की चीज होती है।
युद्ध में इसका इस्तेमाल एक चलते फिरते बंकर की तरह होता है। बंकर एक रक्षात्मक सैन्य किलेबंदी है जिसे लोगों और मूल्यवान सामग्रियों को गिरने वाले बम या अन्य हमलों से बचाने के लिए डिजाइन किया जाता है। बंकर ब्लॉक के विपरीत और भूमिगत होते हैं।
वहीं टैंक जमीन के ऊपर होते हैं लेकिन एक तरह से बंकर का ही काम करते हैं। खास बात यह है कि कई टैंक मिलाकर एक बख्तरबंद मोर्चा तैयार किया जा सकता है, जो दुश्मन पर तेज रफ्तार के साथ चढ़ाई कर सकता है। हर टैंक में एक बड़ी तोप होती है। इसका गोला दुश्मन पर हथौड़े की तरह गिरता है। इनके अलावा भी टैंक में अन्य कई घातक हथियार होते हैं जो दूर से ही दुश्मन पर निशाना साध सकते हैं।
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