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Indian Army: इसे ‘क्वीन ऑप द बैटल’ भी कहा जाता है। दुश्मन इसके नाम से ही कांप उठते हैं। इस शाखा के सैनिक दुश्मन के साथ काफी करीब से लड़ते हैं। देश की सुरक्षा में पैदल सेना का अहम योगदान है। पैदल सेना भारतीय थल सेना (Indian Army) की रीढ़ की हड्डी के समान है।
इंडियन आर्मी (Indian Army) की इन्फेंट्री यानी पैदल सेना बेहद ही घातक मानी जाती है। यह सेना की एक सामान्य शाखा है। पैदल सेना के जरिए ही गोवा मुक्ति के लिए ऑपरेशन विजय लॉन्च किया गया था।
यह देश की आजादी के बाद हुई कुछ बड़ी कार्रवाई में से एक मानी जाती है। इस ऑपरेशन के जरिए गोवा को साढ़े चार सौ साल के पुर्तगाली आधिपत्य से मुक्ति दिलवाई गई थी।
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इस अभियान में पैदल सेना ने बेहद ही अहम भूमिका निभाई थी। 4 राजपूत रेजीमेंट, 1 पैरा, 2 पैरा, 2 सिख लाइट इन्फेंट्री बटालियन ने जमीनी, समुद्री और हवाई हमले के बीच विपरीत परिस्थितियों में गोवा को आजाद करवाया। गोवा देश की आजादी के 14 साल बाद आजाद हुआ था।
18 दिसंबर, 1961 के दिन कार्रवाई की गई। भारतीय सैनिकों की टुकड़ी ने गोवा की सीमा पर प्रवेश किया था। शारीरिक चुस्ती-फुर्ती, अनुशासन, संयम और कर्मठता पैदल सैनिकों के बुनियादी गुण हैं। किसी भी युद्ध में पैदल सैनिकों की बड़ी भूमिका हुआ करती है। एक इन्फ्रेंट्री का सेक्शन सात रायफल, एक एमलएमजी और दो स्टेन गन रखता है।
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इसे ‘क्वीन ऑप द बैटल’ भी कहा जाता है। दुश्मन इसके नाम से ही कांप उठते हैं। इस शाखा के सैनिक दुश्मन के साथ काफी करीब से लड़ते हैं। देश की सुरक्षा में पैदल सेना का अहम योगदान है। पैदल सेना भारतीय थल सेना (Indian Army) की रीढ़ की हड्डी के समान है।
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