Indian Army: जानें फील्ड मार्शल पद की खासियत, ये है युद्ध के समय की सबसे प्रतिष्ठित रैंक

फील्ड मार्शल (Field Marshal) भारतीय सेना (Indian Army) के कमीशन अधिकारी की सबसे बड़ी रैंक है। अब तक सिर्फ दो ही लोगों को इससे नवाजा गया है। फील्ड मार्शल के. एम. करियप्पा और फील्ड मार्शल सैम मानेक शॉ को यह रैंक दी गई है।

Field Marshal

Indian Army: फील्ड मार्शल (Field Marshal) भारतीय सेना के कमीशन अधिकारी की सबसे बड़ी रैंक है। अब तक सिर्फ दो ही लोगों को इससे नवाजा गया है। फील्ड मार्शल के. एम. करियप्पा और फील्ड मार्शल सैम मानेक शॉ को यह रैंक दी गई है।

भारतीय सेना (Indian Army) के जवान देश की रक्षा के लिए किसी भी हद तक गुजरने के लिए तत्पर रहते हैं। आजादी के बाद से अबतक सेना ने इस बात को साबित भी करके दिखाया है। भारतीय सेना के जवान शहीद हुए हैं तो कई जवान बुरी तरह से जख्मी भी हुए हैं। अपनी जान न्योछावर कर देश की हिफाजत करने वाली हमारी सेना की जितनी तारीफ की जाए कम है।

सेना (Indian Army) हमारे देश की शान है। किसी भी कंपनी की तरह सेना में भी पद के मुताबिक जवानों को चुना जाता है। सेना में रैंक के जरिए पता चलता है कि कौन सा सैनिक सीनियर है और कौन सैनिक जूनियर। सैन्यकर्मियों की रैंक एवं उनके वर्दी पर लगे बैज के जरिए इसका आसानी से पता लग जाता है।

Indian Army: लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारी की बैज की ये है खासियतें, जानें सेवानिवृति की उम्र

फील्ड मार्शल (Field Marshal) भारतीय सेना (Indian Army) के कमीशन अधिकारी की सबसे बड़ी रैंक है। अब तक सिर्फ दो ही लोगों को इससे नवाजा गया है। फील्ड मार्शल के. एम. करियप्पा और फील्ड मार्शल सैम मानेक शॉ को यह रैंक दी गई है।

इस रैंक के अधिकारी की वर्दी पर लगे बैज में कमल छपा होता है। इस कमल पर एक घेरा होता है। घेरे में तलवार और डंडा होता है। ये दोनों ही घेरे में एक-दूसरे को क्रॉस करते हैं। इसके बाद, इनके ऊपर भारत का राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तम्भ लगा होता है।

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फील्ड मार्शल (Field Marshal) रैंक की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस रैंक के अधिकारी कभी भी रिटायर्ड नहीं होते। यानी वे जब तक जीवित रहेंगे तब तक उनके नाम के आगे ‘फील्ड मार्शल’ लगता रहेगा।

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