खुफिया एजेंसी ‘रॉ’ की ये है खासियत, जानें इसके बारे में विस्तार से

RAW: ‘रॉ’ पर दुश्मनों की काफी बारीकी नजर होती है। ‘रॉ’ का जासूस अगर दुश्मन देश में घुसकर जासूसी कर रहा होता है तो किसी को पता नहीं लगता कि वह एक जासूस है।

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RAW: दुश्मनों पर ‘रॉ’ की काफी पैनी नजर होती है। ‘रॉ’ का जासूस अगर दुश्मन देश में घुसकर जासूसी कर रहा होता है तो किसी को पता नहीं लगता कि वह एक जासूस है।

भारतीय जासूसी एजेंसी ‘रॉ’ (RAW) का नाम पूरी दुनिया में विख्यात है। ‘रॉ’ की कार्यशैली ही कुछ इस तरह की है जिससे यह दुनिया की सबसे खतरनाक खुफिया एजेंसी में गिनी जाती है। ‘रॉ’ दुश्मनों को सिर्फ देख ही नहीं लेती बल्कि सूंघ भी लेती है।

‘रॉ’ के जासूस तो ऐसे हैं कि जो कि घर में दामाद बनकर घुस भी जाएं तो भनक तक न लगने दें। सेना और पुलिस की भर्ती सार्वजनिक तौर पर होती है इसलिए हर किसी को उसके बारे में पता रहता है। वहीं रॉ के जासूसों की भर्ती बहुत ही चोरी-छिपे की जाती है। रॉ में क्या काम चल रहा है या किस खतरे को भांपा जा रहा है यह बिल्कुल पता नहीं लग पाता।

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‘रॉ’ पर दुश्मनों की काफी बारीकी नजर होती है। ‘रॉ’ का जासूस अगर दुश्मन देश में घुसकर जासूसी कर रहा होता है तो किसी को पता नहीं लगता कि वह एक जासूस है। हालांकि कई ऐसे भी मामले सामने आए हैं जब हमारे जासूस पाकिस्तानी सेना के हाथ लग गए थे।

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वहीं, कई जासूस तो ऐसे भी रहे हैं जो कई साल तक दुश्मन देश में रहकर वापस भारत लौट आएं। जो दुश्मन के हाथ लग जाते हैं उनको काफी प्रताड़ना झेलनी पड़ती है। कई-कई सालों तक जेल में बंद रहना पड़ जाता है। हालांकि, भारत सरकार उनकी रिहाई के लिए सारे दांव-पेंच अपनाती है।

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