CRPF सहायक कमांडेंट प्रकाश रंजन मिश्रा।
नक्सलियों (Naxalites) के गढ़ में एक बच्चे का जाना और फिर उनके टॉप लीडर को खुला चैलेंज करना अपने आप में ही यह दर्शाता है कि CRPF सहायक कमांडेंट प्रकाश रंजन मिश्रा कितने बहादुर थे।
केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) सहायक कमांडेंट प्रकाश रंजन मिश्रा बहादुरी जवान में गिने जाते हैं। वे हमेशा से ही सभी के हक और अन्याय के खिलाफ लड़ते रहे हैं। 17 सितंबर, 2012 में झारखंड (Jharkhand) के चतरा जिला के गांव रबदा में एक घर में नक्सल दस्ता सीपीआई (माओवादी) की उपस्थिति के बारे में खुफिया जानकारी के आधार पर उन्हें सफल ऑपरेशन को अंजाम देकर नक्सलियों (Naxalites) को ढेर किया था।
इसमें वह गंभीर रूप से घायल हुए थे। इसके बाद उन्हें ‘शौर्य चक्र’ से सम्मानित किया गया। वह बचपन से ही बहादुर थे। जब वह 10वीं कक्षा में थे तो एक बार नक्सलियों (Naxalites) ने उनके घर के आंगन में स्थित सागवान का पेड़ काट दिया था। पेड़ काटने के बाद जब उन्हें इसकी जानकारी मिली तो वह अपनी चाची के पास पहुंचे। चाची ने उन्हें बताया कि नक्सली लोग सागवान का पेड़ काटकर ले गए हैं।
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जिस उम्र में बच्चे अक्सर डरे और सहमे हुए रहते हैं, प्रकाश रंजन इसके बिल्कुल उलट थे। वे जंगल में मौजूद नक्सलियों के ठिकाने पर पहुंच गए थे। इस दौरान उन्होंने नक्सलियों के लीडर को डायरेक्ट चैलेंज किया था।
उन्होंने कहा था कि अगर दम है तो अपने हथियारों को साइड में रखकर मुकाबला करें। नक्सली (Naxalites) एक बच्चे की बहादुरी और चुनौती को देखकर काफी प्रभावित हुए थे।
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नक्सलियों (Naxalites) के गढ़ में एक बच्चे का जाना और फिर उनके टॉप लीडर को खुला चैलेंज करना अपने आप में ही यह दर्शाता है कि प्रकाश रंजन मिश्रा कितने बहादुर थे। हालांकि जब उनके घर वालों को इस बात का पता चला था तो उन्होंने कुछ समय बाद उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए पटना भेज दिया था।
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