1971 का युद्ध: पूर्वी पाकिस्तान में पाक फौज करती थी आम नागरिकों का दमन, भारतीय सेना ने ऐसे सिखाया था सबक

पूर्वी पाक में लोग परेशान थे और भारत की तरफ कूच कर रहे थे। भारत में शरणार्थी संकट बढ़ता ही जा रहा था। लिहाजा पाक के साथ दिसंबर 1971 में युद्ध छिड़ गया।

War of 1965

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India Pakistan War of 1971: पूर्वी पाकिस्तान में लोग परेशान थे और भारत की तरफ कूच कर रहे थे। भारत में शरणार्थी संकट बढ़ता ही जा रहा था। लिहाजा पाकिस्तान के साथ दिसंबर 1971 में युद्ध छिड़ गया।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में लड़े गए युद्ध में भारतीय सेना ने बहादुरी की मिसाल पेश की थी। युद्ध में पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) की मुक्ति वाहिनी के साथ मिलकर हमारे जवानों ने दुश्मनों को ढेर किया था। 1971 के दौरान पाकिस्तान की गलतियों के चलते वह अपना एक प्रांत गंवा बैठा था। पूर्वी पाकिस्तान में उन दिनों पाकिस्तान ने जुल्म की सारी इंतेहा पार कर दी थी।

पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) को यह समझ नहीं आ रहा था कि वे क्या करें और क्या नहीं। वर्ष 1971 में पश्चिमी पाकिस्तान से पूर्वी पाकिस्तान अलग हुआ और बांग्लादेश नाम का एक नया राष्ट्र बना। इसकी पृष्ठभूमि में व्यापक जनसंहार, रेप और यातना थे, जिसने पूर्वी पाकिस्तान के लगभग सभी परिवारों को प्रभावित किया। पूर्वी पाकिस्तान में अत्याचार, रेप, गिरफ्तारी आम बात थी।

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वहीं पूर्वी पाकिस्तान में लोग परेशान थे और भारत की तरफ कूच कर रहे थे। भारत में शरणार्थी संकट बढ़ता ही जा रहा था। लिहाजा पाकिस्तान के साथ दिसंबर 1971 में युद्ध छिड़ गया। भारत और पाकिस्तान के बीच शुरू हुए युद्ध के फलस्वरूप बांग्लादेश के रूप में एक नए देश का जन्म हुआ। युद्ध में जीत के साथ ही पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों ने भारत के सामने सरेंडर किया था।

इस पूरे मंजर को दुनिया ने देखा था। पाकिस्तान की बुरी तरह से हार और 93 हजार सैनिकों के घुटने टेकने की इस घटना ने भारत का मान सम्मान विश्व में बढ़ा दिया था। इस जीत के साथ ही भारत ने दिखा दिया था कि इंडियन आर्मी कितनी बेहतरीन है।

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