सांकेतिक तस्वीर।
नक्सली (Naxal) खुद को आम लोगों का पहरुआ बताकर उन्हें बरगलाने की कोशिश करते हैं। लेकिन अब आम जनमानस यह समझ चुका है कि दरअसल ‘आतंक’ का चोला ओढ़े यह नक्सली रक्षक नहीं बल्कि जनता के भक्षक हैं। उत्तर प्रदेश के कोंच के आंती कुछ इलाकों में प्रतिबंधित नक्सली संगठन (Naxal Organization) भाकपा माओवादियों ने जमीन के कुछ टुकड़ों पर जबरन कब्जा कर लिया है और और वहां पोस्टर लगाकर धमकी दी है कि अगर किसी ने भी प्रतिबंधित जमीन खरीदने की कोशिश की तो उसे जन अदालत लगा कर वो सजा देंगे।
जानकारी के मुताबिक जिस जमीन पर नक्सलियों (Naxal) ने बैन लगा रखा है वो जमीन प्रखंड के अचुकी एवं दौरमा गांव में है। इनमें से जमीन का एक टुकड़ा 90 के दशक से ही अचुकी गांव के किसान स्व.विजय शर्मा एवं दौरमा गांव के नरेंद्र गुप्ता की है। जमीन के मालिक नक्सलियों से इस कदर खौफजदा थे कि वो औऱ उनका परिवार इस इलाके में तो क्या इस जिले में भी कई बरसों तक नहीं आय़ा। इनका परिवार रांची और गया जैसे जिलों में गुजर-बसरने करने के लिए मजबूर था।
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‘दैनिक भास्कर’ की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2005 के बाद इस इलाके में जब नक्सलियों (Naxals) की पैठ कमजोर होने लगी तब विजय शर्मा के भाई राधेश्याम कुमार और नरेंद्र गुप्ता के बेटे नीरज कुमार ने अपनी जमीन पर किसी के माध्यम से खेती करवाने लगे। लेकिन बताया जा रहा है कि शुक्रवार को नक्सलियों ने एक बार इस जमीन को प्रतिबंधित बताते हुए यह पोस्टर चस्पा कर दिया है। नक्सलियों के इस पोस्टर से गांव वाले दहशत में हैं।
इस मामले में यहां पुलिस नक्सली पर्चे को लेकर बेहद गंभीर है। हालांकि शुरुआत में वो यह भी मानकर चल रही है कि यह गांव के ही किसी शख्स की करतूत भी हो सकती है। पुलिस का मानना है कि हो सकता है कि गांव में किसी ने ऐसा कर लोगों के बीच दहशत फैलाने की कोशिश की हो। पुलिस अलग-अलग एंगल से इस मामले की छानबीन कर रही है।
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हालांकि इस इलाके में किसी जमीन पर जबरन अपना कब्जा जमाने और इस तरह से पर्चे लगाकर दहशत फैलाने का यह कोई पहला मामला नहीं है। काबर एवं खवासपुर में भी किसानों की जमीन पर नक्सलियों (Naxalites) के द्वारा बेचने एवं उसमें कार्य करने पर रोक लगाई गई है। बता दें कि दो दिन पहले ही कोंच थाना के वहापचक गांव में पोस्टर चिपकाकर नक्सलियों ने किसानों से जमीन छोड़ने की बात कही है।
पुलिस इस मामले की भी छानबीन कर रही है। इन इलाकों में पिछले कुछ सालों में नक्सली (Naxal) गतिविधियों में कमी आई है। हालांकि रह-रह कर नक्सली गांव वालों के बीच दहशत फैलाने को कोई मौका नहीं छोड़ते। फिलहाल अब नक्सलियों (Naxals) द्वारा आम आदमी की जमीन जबरन कब्जा करने के इन मामलों की बारिकी से पड़ताल की जा रही है।
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