कोरोनावायरस पाबंदियों के ख़िलाफ़ फैलती बग़ावत

वायरस वैज्ञानिकों को इस बात की भी चिंता है कि कोविड-19 (Covid19) फैलाने वाले इस वायरस के ख़िलाफ़ शरीरों में पैदा होने वाली इम्यूनिटी कितने समय तक रह सकती है। यह उसी प्रजाति का वायरस है जिनसे फ़्लू फैलता है। फ़्लू के वायरसों के लिए बनने वाली इम्यूनिटी लंबे समय तक नहीं रहती। इसलिए हर साल टीके लगवाने पड़ते हैं। इन वायरसों के रूप भी बदलते रहते हैं जिसकी वजह से टीकों में भी बदलाव करना पड़ता है। ये सारी बातें कोविड-19 (Covid19) के ख़िलाफ़ जारी जंग को और पेचीदा बनाती हैं

Covid19

आपको क्या लगता है? ऐसे लोग केवल भारत में ही हैं जो कोरोनावायरस (Coronavirus) की जाँच करने आए स्वास्थ्य कर्मियों और पुलिस कर्मियों का आभार प्रकट करने की बजाय उनपर पथराव करते हैं, मार-पीट करते हैं और थूकते हैं! अस्पतालों में कोविड-19 (Covid19) की सेवा करने में लगे स्वास्थ्य कर्मियों के साथ गाली-गलौज करते हैं! लोगों से शारीरिक दूरी बना कर चलने की बजाय उनके चेहरे पर जाकर खाँसने और थूकने की कोशिशें करते हैं!

अमेरिका (America) और यूरोप में भी ऐसे लोगों की कमी नहीं है। मई दिवस के दिन अमरीकी राज्य मिशिगन के फ़्लिंट शहर के एक सुपर स्टोर में ख़रीदारी करने आए अफ़्रीकी मूल के एक युवक ने स्टोर के एक पहरेदार को मास्क पहन कर न आने के लिए टोके जाने से नाराज़ होकर गोली मार दी। मिशिगन की सरकार ने सुपर स्टोर खोल दिए थे लेकिन लोगों मास्क पहन कर जाना अनिवार्य कर रखा था।

कोविड-19 के बदलते रूप और ब्रिटेन (Britain) की गहराती दुविधा

अमेरिका (America) के ही टैक्सस राज्य के शहर ऑस्टिन में परसों कुछ लोगों ने सामाजिक दूरी बनाए रखने की ज़रूरत समझाने गए एक पार्क रेंजर को तरण ताल में फेंक दिया। युवक और युवतियों का एक झुंड सामाजिक दूरी रखने की हिदायतों को ताक पर रखते हुए तरण ताल में मस्ती कर रहा था। पार्क रेंजर ने उनके पास जाकर उन्हें समझाने की कोशिश की कि उन्हें कोविड-19 (Covid19) की महामारी को फैलने से रोकने के लिए एक दूसरे से कम से कम छह फ़ुट की दूरी बना कर चलना चाहिए।

यहाँ ब्रिटेन (Britain) में भी ऐसे कई क़िस्से हुए हैं। पिछले महीने पुलिस ने उत्तरी इंग्लैंड के लैंकास्टर शहर के पास दो लोगों को गिरफ़्तार किया था जो सेंसबरी के सुपरस्टोर में अपने हाथ चाट कर उन्हें सब्ज़ियों, मांस और फ़्रिज के हैंडलों पर पोंछ रहे थे। उससे पहले लंदन के समीपवर्ती हिचिन शहर में तीन किशोरों को बजुर्गों के चेहरों पर जाकर खाँसने के लिए गिरफ़्तार किया गया था। और परसों ही उस व्यक्ति को गिरफ़्तार किया गया है जो पश्चिमी लंदन के एक भारतीय इलाक़े में खुले में पेशाब करता हुए पकड़ा गया और पुलिस के पूछताछ के लिए आने पर उसने उन्हें उन पर थूक कर भगाने की कोशिश की थी।

ब्रिटेन (Britain) और बाकी यूरोपीय देशों में आपको भारत की शराब की दुकानों जैसी धक्का-मुक्की तो देखने को नहीं मिलती है और न ही यहाँ तालाबंदी और सामाजिक दूरी के आदेशों के ख़िलाफ़ धरने-प्रदर्शन होते हैं। आम तौर पर लोग कानून का पालन करते हैं और अनुशासन में रहते हैं। लेकिन अमेरिका (America) में हालात भारत से बहुत भिन्न नहीं हैं। राष्ट्रपति ट्रंप के लोगों को उनकी आज़ादी लौटाओ के नारों के बाद लोग पाबंदियों के ख़िलाफ़ धरने-प्रदर्शनों पर उतरने लगे हैं और टोके जाने पर उग्र हो जाते हैं। हाल में हुई घटनाएँ पाबंदी-विरोध की इसी नई लहर का परिणाम हैं।

मुश्किल यह है कि कोविड-19 (Covid19) की महामारी का प्रकोप कुछ शहरों में धीमा भले ही पड़ गया हो लेकिन थमा कतई नहीं है। साढ़े बारह लाख लोग वायरस का शिकार बन चुके हैं और 72 हज़ार से भी ज़्यादा लोग मारे जा चुके हैं। अख़बारों में लीक हुए वाइट हाउस के एक गोपनीय ज्ञापन के अनुसार जून तक अमेरिका (America) में मरने वालों की संख्या बढ़कर तीन हज़ार प्रतिदिन तक जा सकती है। जिसका मतलब अमेरिका (America) को हर रोज़ एक ग्यारह सितंबर झेलना पड़ सकता है।

अमेरिका (America) की लॉस एलामोस प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों ने अपनी नई रिपोर्ट में कहा है कि कोविड-19 (Covid19) फैलाने वाले सार्स कोवी-2 वायरस में नया बदलाव आ गया है जिसकी वजह से यह वायरस अपने पहले रूप की तुलना में और भी ज़्यादा ख़तरनाक और संक्रमणशील हो गया है। यूरोप, अमेरिका (America) और लातीनी अमेरिका में इन दिनों यही नया अधिक घातक वायरस फैला हुआ है। यदि यह आकलन सही है तो टीका बनाने का काम और भी चुनौतीपूर्ण हो जाएगा। वैज्ञानिकों को अब एक नहीं दो तरह के वायरसों पर काम करने वाला टीका तैयार करना होगा।

वायरस वैज्ञानिकों को इस बात की भी चिंता है कि कोविड-19 (Covid19) फैलाने वाले इस वायरस के ख़िलाफ़ शरीरों में पैदा होने वाली इम्यूनिटी कितने समय तक रह सकती है। यह उसी प्रजाति का वायरस है जिनसे फ़्लू फैलता है। फ़्लू के वायरसों के लिए बनने वाली इम्यूनिटी लंबे समय तक नहीं रहती। इसलिए हर साल टीके लगवाने पड़ते हैं। इन वायरसों के रूप भी बदलते रहते हैं जिसकी वजह से टीकों में भी बदलाव करना पड़ता है। ये सारी बातें कोविड-19 (Covid19) के ख़िलाफ़ जारी जंग को और पेचीदा बनाती हैं। यह सह जानते हुए भी राष्ट्रपति ट्रंप (Donald Trump) और उनके सलाहकारों को लगता है कि तालाबंदी से हो रही अर्थहानि की मार मानवहानि के ख़तरे से भारी है। ऊपर से चुनाव सिर पर हैं। इसीलिए वे सारे जोखिम उठा कर भी जनजीवन और कारोबारों को खोलना चाहते हैं।

 

 

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