आत्मसमर्पण करने वाले तीनों नक्सलियों (Naxalites Surrender) ने बताया कि उनका संगठन के वरिष्ठ नेताओं से मोहभंग हो गया था। संगठन में बड़े नक्सली नेता निचले पायदान के कैडरों को मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूर और परेशान करते हैं।
ओडिशा (Odisha) में भाकपा (माओवादी) के तीन नक्सलियों ने सरेंडर (Naxalites Surrender) कर दिया है। भाकपा (माओवादी) के इन नक्सलियों ने 16 अगस्त को सरेंडर किया। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में लक्मा माडवी उर्फ लखन, गंगा मडकम उर्फ नितेश उर्फ सेंद्रा और सुका सोडी उर्फ नबीन शामिल हैं।
ये तीनों नक्सली छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं। सरेंडर करने वाले नक्सली ओडिशा में सक्रिय केकेबीएन डिवीजन के कोडंगा-महानदी संयुक्त एरिया कमेटी के मेंमबर हैं। बता दें कि यह कमेटी प्रतिबंधित सीपीआई-माओवादी की ओडिशा स्टेट कमेटी तहत काम करती है।
संगठन की ओर से इन तीनों नक्सलियों को खासकर उत्तरी कंधमाल और आसपास के इलाकों में नक्सलियों को सक्रिय करने और महानदी एरिया कमेटी को फिर से खड़ा करने के लिए तैनात किया गया था।
गौरतलब है कि महानदी एरिया कमेटी कुख्यात नक्सली बादल उर्फ शंकर मांझी (डीसीएम) के मारे जाने और नक्सली कुनू देहुरी के साल 2018 में आत्मसमर्पण के बाद से काफी कमजोर हो गई है। इसके साथ ही पुलिस कार्रवाई और नक्सल विरोधी अभियानों के चलते नक्सली भारी दबाव में थे।
सरेंडर करने वाले नक्सलियों ने बताया कि उन्होंने आत्मसमर्पण करने और समाज के मुख्यधारा में शामिल होने के लिए ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की अपील ने प्रेरित किया। उन्होंने समाज की मुख्यधारा में शामिल होने और विकास में भागीदार बनाने के मकसद से आत्मसमर्पण किया।
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आत्मसमर्पण करने वाले तीनों नक्सलियों (Naxalites Surrender) ने बताया कि उनका संगठन के बड़े नेताओं से मोहभंग हो गया था। संगठन में बड़े नक्सली नेता निचले पायदान के कैडरों को मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूर और परेशान करते हैं। उन्होंने आगे बताया कि ओडिशा में तेजी से हो रहे विकास को नजरअंदाज कर नक्सली नेता उन्हें जंगलों में रहने के लिए मजबूर कर रहे थे।
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