बस्तर की नम्रता ने हासिल की UPSC में 12वीं रैंक, पहले भी कर चुकी हैं क्वालीफाई

नम्रता दक्षिणी बस्तर के गीदम कस्बे की रहने वाली हैं। इस छोटे से कस्बे में जन्मी और पली-बढ़ी नम्रता जैन ने इस बार यूपीएससी की परीक्षा में 12वीं रैंक लाकर बस्तर का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया है। नम्रता पहले 2016 में यूपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण कर 99वां रैंक लाई थीं। नम्रता को आईपीएस का कैडर मिला था।

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नम्रता जैन

छत्तीसगढ़ का बस्तर, जिसकी पहचान कभी नक्सलियों के गढ़ के रूप में होती थी, जहां से कभी हिंसा की भयावह खबरें आया करती थीं। उसी बस्तर के लोग आज प्रतियोगी परीक्षाओं से लेकर, खेल-कूद, रियलिटी शो, सिनेमा जगत समेत सभी जगहों पर अपनी कामयाबी के झंडे गाड़ रहे हैं। बस्तर की इस पहचान को बदलने में बड़ी भूमिका निभा रहा है यहां का युवा।

ऐसी ही बस्तर की एक युवा हैं नम्रता जैन। जिन्होंने देश की सबसे प्रतिष्ठित एवं कठिन परीक्षा UPSC को लगातार दूसरी बार क्वालिफ़ाई किया है और 12वीं रैंक हासिल कर क्षेत्र का नाम रोशन किया है। नम्रता दक्षिणी बस्तर के गीदम कस्बे की रहने वाली हैं। इस छोटे से कस्बे में जन्मी और पली-बढ़ी नम्रता जैन ने इस बार यूपीएससी की परीक्षा में 12वीं रैंक ला कर बस्तर का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया है।

नम्रता ने पहले 2016 में UPSC की परीक्षा उत्तीर्ण कर 99वाीं रैंक पाई थी। नम्रता को आईपीएस का कैडर मिला था। पर नम्रता का बचपन से सपना था कि वो आईएएस बनें। पिछली बार 99वीं रैंक लाने के बावजूद भी इन्हें आईएएस नहीं मिला था। इसलिए वो इस बार फिर से मेहनत करके शानदार रैंक लाईं। नम्रता फिलहाल, मसूरी स्थित नेशनल पुलिस एकेडमी में आईटीबीपी फोर्स के साथ ट्रेनिंग कर रही हैं।

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नम्रता यहां ट्रेनिंग के साथ-साथ अपनी पढ़ाई भी कर रही थीं। ट्रेनिंग के साथ-साथ तैयारी करना वैसे भी बहुत मुश्किल होता है। क्योंकि सुबह उठकर ट्रेनिंग पे जाना होता था। इस दौरान पढ़ाई के लिए वक़्त निकालना बेहद कठिन होता है। लेकिन ये सारी बाधाएं नम्रता के हौसलों के आड़े नहीं आई। कठिन परिश्रम की बदौलत आज नम्रता शिखर पर पहुंच चुकी हैं। हालांकि 12वीं रैंक लाने पर नम्रता को थोड़ा मलाल भी है। क्योंकि उनकी अपेक्षा सिंगल डिजिट रैंक की थी।

नम्रता की शुरुआती शिक्षा निर्मल निकेतन स्कूल, दंतेवाड़ा में हुई। इसके बाद नम्रता को आगे की पढ़ाई के लिए भिलाई जाना था। पर नम्रता को वहां भेजने के लिए परिवार राजी नहीं था। मां की मदद से वह बाहर निकल सकीं। मां किरण जैन ने किसी तरह घर वालों को उनकी आगे की पढ़ाई के लिए राजी किया। तब जाकर उनका घर से बाहर निकलना संभव हुआ।

नतीजतन, भिलाई में हायर सेकंड्री और शंकराचार्य इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक्स में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। वह भिलाई में 5 साल तक रहीं। इंजीनियरिंग की परीक्षा पास करते ही बैंगलोर में हुंडई कंपनी में अच्छे पैकेज पर नौकरी मिल गई। पर नम्रता ने अच्छी खासी सैलरी वाली नौकरी को छोड़कर आईएएस बनने के लिए संघर्ष की राह चुनी। नौकरी छोड़ने के बाद उन्होंने 3 साल तक दिल्ली में रहकर यूपीएससी की तैयारी की।

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नम्रता का पहले 99 रैंक लाना और फिर इस बार यूपीएससी में 12वीं रैंक लाने का सफर कतई आसान नहीं था। काफी पिछड़े क्षेत्र से होना एवं मार्गदर्शन और संसाधनों की कमी के बावजूद भी नम्रता ने कठिन परिश्रम किया, जिसकी वजह से आज उन्होंने यह मुक़ाम हासिल किया है।

इंटरव्यू के दौरान पैनल ने नम्रता से दिलचस्प सवाल पूछा कि आप छत्तीसगढ़ में माओवाद को कैसे मिटाएंगी। इस पर नम्रता ने कहा कि वहां डेवेलपमेंट के साथ सिक्योरिटी लेकर चलना होगा। बच्चे और यूथ जो किसी कारण से भटक जाते हैं, उन्हें पढ़ाया जाए तो यह समस्या सॉल्व हो सकती है।

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