
नक्सलवाद की समस्या और सरकारी पहल से समाज में हो रहे बदलाव को लोगों तक पहुंचाने के लिए सीआरपीएफ भी एक फिल्म क निर्माण कर रही है।
नक्सलवाद पर प्रहार करने के लिए पुलिस और सुरक्षाबल अब नया तरीका अपना रहे हैं। यह तरीका हिंसा और खून-खराबे से अलग काफी संवेदनशील है, जो नक्सल प्रभावित इलाकों के लोगों के मन पर असर करेगा। उन्हें नक्सलवाद का असली चेहरा दिखाएगा। यह तरीका है, कहानी को पर्दे पर प्रस्तुत कर लोगों को सच्चाई से रूबरू करवाना। लोगों को नक्सलियों की हकीकत और नक्सलवाद का असली चेहरा दिखाने के लिए दंतेवाड़ा पुलिस पहले से ही सच्ची कहानियों पर आधारित एक शॉर्ट फिल्म बना रही है।
इसी कड़ी में अब नक्सलवाद की समस्या और सरकार और प्रशासन के पहल से समाज में हो रहे बदलाव को लोगों तक पहुंचाने के लिए सीआरपीएफ भी एक फिल्म का निर्माण कर रही है। इस फिल्म का नाम है ‘बदलती तस्वीर’। फिल्म की शूटिंग बिहार के गया शहर के सिंगरा स्थान के पास स्थित पहाड़ी वादियों और बेलागंज के एरकी गांव में की जा रही है। सीआरपीएफ इसे देश भर में प्रदर्शित करेगी। नक्सल समस्या पर आधारित इस फिल्म का निर्माण सीआरपीएफ की आईजी चारु सिन्हा के मार्गदर्शन में हो रहा है। फिल्म में स्वयं सीआरपीएफ के जवान भी अभिनय कर रहे हैं। फिल्म के निर्देशक मिथिलेश सिंह हैं।
एक क्रांतिकारी बच्चे की कहानी पर बन रही इस फिल्म में बाल चरित्र का अभिनय पत्रकार कुंदन कुमार के पुत्र यथार्थ और आरुषि कुमारी ने किया है। इस फिल्म में उदय सागर, दीपक आनंद, बबली कुमारी, एस नायक,रवि यादव आदि कलाकारों के साथ-साथ बड़ी संख्या में सीआरपीएफ के जवान भी अभिनय कर रहे हैं। फिल्म की पटकथा और संवाद मिथिलेश सिंह और चैतन्य के हैं। उम्मीद है सुरक्षाबलों के इस तरह के संवेदनशील कदम से नक्सल प्रभावित इलाकों में कुछ सकारात्मक बदलाव आएगा। लोगों में जागरूकता आएगी और नक्सलवाद की और जड़ें कमजोर होंगी।
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