नक्सलवाद का सच: छत्तीसगढ़ में बच्चों का ब्रेनवॉश कर उन्हें नक्सली बनाने की साजिश! जानें पूरा मामला

सुरक्षा एजेंसियों ने भी ये आशंका जताई है कि नक्सली अपने नेटवर्क को मजबूत करने के लिए इन बच्चों को अपना मोहरा बना सकते हैं।

Naxalites

सांकेतिक तस्वीर

सुरक्षा एजेंसियों ने भी ये आशंका जताई है कि नक्सली (Naxalites) अपने नेटवर्क को मजबूत करने के लिए इन बच्चों को अपना मोहरा बना सकते हैं और ये बच्चे नक्सलियों के टारगेट पर भी हैं।

रायपुर: छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद एक बड़ी समस्या है। ऐसे में राज्य में पढ़ने वाले स्कूली छात्रों पर भी नक्सलवाद का साया पड़ने का खतरा मंडरा रहा है।

दरअसल कोरोना महामारी की वजह से नक्सल (Naxalites) प्रभावित जिलों के हजारों स्कूली छात्र पढ़ाई से दूर हो गए हैं। 60 पोटा कैबिन स्कूलों के करीब 30 हजार बच्चे अपनी शिक्षा के भविष्य को लेकर पूरी तरह अंधेरे में हैं।

ऐसे में खतरा ये है कि शिक्षा के अभाव में ये स्कूली छात्र कहीं नक्सलवाद की तरफ ना मुड़ जाएं और नक्सली पूरी कोशिश भी करेंगे कि ऐसा हो और छात्रों को बरगलाकर नक्सली (Naxalites) बनाया जाए।

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सुरक्षा एजेंसियों ने भी ये आशंका जताई है कि नक्सली अपने नेटवर्क को मजबूत करने के लिए इन बच्चों को अपना मोहरा बना सकते हैं और ये बच्चे नक्सलियों के टारगेट पर भी हैं।

बाकी डेवलप जिलों में तो बच्चे ऑनलाइन क्लास के जरिए अपनी पढ़ाई को जारी रखे हुए हैं, लेकिन नक्सल प्रभावित इलाकों के बच्चों के पास ऐसा कोई विकल्प नहीं है। उनके पास ना ही साधन हैं और ना कनेक्टिविटी।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 50 हजार स्कूली बच्चे नक्सलियों के प्रभाव में आ सकते हैं। नक्सली इनका ब्रेनवॉश कर इस्तेमाल कर सकते हैं।

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