Jharkhand: विकास की राह पर चल पड़ा है नक्सल प्रभावित खूंटी जिले का यह गांव

झारखंड (Jharkhand) के नक्सल प्रभावित (Naxal Area) खूंटी जिले के गुनी गांव में कुल 117 परिवार हैं। यह गांव दूसरे गावों के लिए एक मिसाल बनने की राह पर चल पड़ा है। गांव की स्थिति 6 महीने पहले कुछ अलग थी।

Naxal Area

अब इस नक्सल प्रभावित इलाके (Naxal Area) के कई गांवों की आबोहवा बदलने लगी है। इसमें सबसे अहम भूमिका लोक प्रेरक दीदी निभा रही हैं।

झारखंड (Jharkhand) के नक्सल प्रभावित (Naxal Area) खूंटी जिले के गुनी गांव में कुल 117 परिवार हैं। यह गांव दूसरे गावों के लिए एक मिसाल बनने की राह पर चल पड़ा है। गांव की स्थिति 6 महीने पहले कुछ अलग थी। लोगों में आपसी झगड़े, तनाव, नशे की लत ने लोगों को कमजोर बना दिया था। इस गांव के 117 परिवार पूरी तरह कृषि से जुड़े हैं, लेकिन केवल वर्षा जल पर आश्रित थे।

प्रेरक दीदीयों की मदद से लोगों को ग्रामसभा मजबूत करने पर जोर दिया गया, जिससे लोगों ने स्वच्छता की और ध्यान दिया और प्रतिदिन साफ-सफाई करने लगे। इस से एक नई सकारात्मक ऊर्जा पैदा हुई और लोगों ने अपने गांव के बेहतरी के विषय में मंथन करना शुरू किया।

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स्वच्छता, साप्ताहिक श्रमदान, किसान भाई के घर बाड़ी में गोबर गड्ढे, नालियों में सोखता गड्ढे और अन्य बड़े कार्य ग्रामसभा की मदद से किए गए। यह इलाका नक्सलियों के गढ़ के रूप में जाना जाता है।

लेकिन, अब इस नक्सल प्रभावित इलाके (Naxal Area) के कई गांवों की आबोहवा बदलने लगी है। इसमें सबसे अहम भूमिका लोक प्रेरक दीदी निभा रही हैं। दीनदयाल ग्राम स्वावलंबन योजना के जरिए ग्रामीणों की सोच बदलने जब लोक प्रेरक दीदी गांव पहुंची, तो ग्रामीणों के तीखे तंज का सामना करना पड़ा। लेकिन, लोक प्रेरक दीदी हेमंती ने हिम्मत नहीं हारी।

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गांव की महिलाओं और पुरुषों को ग्रामसभा शुरू करने के लिए प्रेरित करती रहीं। स्वच्छता अभियान से इसकी शुरुआत हुई। सितंबर, 2019 में ग्रामीणों को प्रेरित करने के लिए शुरू हुई यह योजना अब असर दिखाने लगी है।

गांव में पानी एक बड़ी समस्या है। दीनदयाल ग्राम स्वावलंबन योजना (Deendayal Village Swavalamban Yojana) के तहत जब ग्रामीणों को उनकी ताकत समझाई गई, तब ग्रामीण एकजुट होने लगे।

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अब मनरेगा (MNREGA) के जरिए गुनी गांव में टीसीबी (ट्रेंच कम बंड) और मेड़बंदी कर 200 एकड़ खेती योग्य जमीन में वर्षा जल रोकने में कामयाब हुए हैं। गुनी गांव के ग्रामीणों ने करीब 150 एकड़ जमीन पर टीसीबी और मेढ़बंदी कर ली है, जिससे गर्मी के मौसम में तरबूज की खेती होती है।

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