बिहार: कभी बंजर पड़ी थी जमीन, आज गया के इस नक्सल प्रभावित इलाके में लहलहा रही है खेती

बिहार (Bihar) के नक्सल प्रभावित (Naxal Area) गया जिले के डुमरिया के बाघपुर, औरवाटाड़, पनछंदा गांव से करीब ढाई सौ एकड़ भूमि आबाद हो गई है। इस पर हर तरह के फसल उपजाए जा रहे हैं।

Naxal Area

इस नक्सल प्रभावित इलाके (Naxal Area) के किसानों का कहना है कि बांध बांधकर बारिश के पानी जमा होने से हमलोगों की बंजर भूमि उपजाऊ हो गई है।

बिहार (Bihar) के नक्सल प्रभावित (Naxal Area) गया जिले के डुमरिया के बाघपुर, औरवाटाड़, पनछंदा गांव से करीब ढाई सौ एकड़ भूमि आबाद हो गई है। इस पर हर तरह के फसल उपजाए जा रहे हैं। इलाके के लोगों का कहना है कि नाबार्ड की मदद और ग्रामीणों के श्रमदान की वजह से आज बंजर भूमि में हरियाली आई है। इसकी वजह आज तीन गांव से करीब डेढ़ सौ घरों की आर्थिक स्थिति बेहतर हो गई है।

दरअसल, दस साल पहले समन्वय तीर्थ संस्था के सचिव ओम सत्यम त्रिवेदी के साथ नावार्ड के अधिकारी नक्सल ग्रस्त (Naxal Area) डुमरिया के बाघपुर पहुंचे। तब जंगल में बसे इस गांव में रहने वालो लोगों की स्थिति ठीक नहीं थी। यहां की भूमि उपजाऊ तो थी, लेकिन सिंचाई के संसाधन के अभाव में बंजर पड़ी हुई थी। बारिश का पानी पहाड़ से आता और किसानों के खेत से गुजरते हुए चला जाता।

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तब उन्हें लगा कि अगर पानी के ठहराव की व्यवस्था कर दी जाए तो किसानों की बंजर भूमि उपजाऊ हो सकती है। इसके बाद नावार्ड के अधिकारियों ने ग्रामीणों के साथ बैठक की। जहां दो पहाड़ी के बीच बांध बांधकर बरसात के पानी को इकठ्ठा करने की योजना बनी।

नावार्ड की मदद और ग्रामीणों के श्रमदान से बना साल 2011 में अर्जुन बांध बनकर तैयार हो गया। फिर उससे 3 किमी लंबी दिनसगरी पाईन निकाली गई। जिससे आज ढ़ाई सौ एकड़ भूमि की सिंचाई संभव हो सकी है।

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इस नक्सल प्रभावित इलाके (Naxal Area) के किसानों का कहना है कि बांध बांधकर बारिश के पानी जमा होने से हमलोगों की बंजर भूमि उपजाऊ हो गई है। आज हमलोग मूंग, मडुंआ, मकई,धान आदि फसल उपजा रहे हैं। बांध में सालों भर पानी रहता है, जिससे फसल की सिंचाई आसानी से होती है।

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