Jharkhand: पूर्वी सिंहभूम के इस गांव में मास्क नहीं लगाने पर देना पड़ता है जुर्माना

झारखंड (Jharkhand) के पूर्वी सिंहभूम जिले के पोटका प्रखंड के इस गांव के लोगों में कोरोना को लेकर जो जागरूकता है, उससे बहुत कुछ सीखा जा सकता है।

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सांकेतिक तस्वीर

झारखंड (Jharkhand) के इस गांव में शादी-विवाह हो या श्राद्ध कार्यक्रम, सभी में बिना मास्क के भाग लेने पर पूर्ण पाबंदी है। अगर कोई ऐसा करते पाया गया तो पंचायत संबंधित ग्रामीण को सजा सुनाती है।

झारखंड (Jharkhand) के पूर्वी सिंहभूम जिले के पोटका प्रखंड के इस गांव के लोगों में कोरोना को लेकर जो जागरूकता है, उससे बहुत कुछ सीखा जा सकता है। गांव के मुखिया के साथ गांववाले बाकी लोगों को कोरोना गाइडलाइंस के लिए जागरूक कर रहे हैं। यहां मास्क नहीं पहनने पर जुर्माना लगाया जाता है। यह गांव है पहाड़ियों के बीच बसा रोलाडीह।

झारखंड (Jharkhand) के इस गांव में आज भी आधारभूत सुविधाओं की कमी है। गांव के उप मुखिया श्यामल प्रधान बताते हैं कि गांव में स्वास्थ्य व्यवस्था ठीक नहीं है। सबसे नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की दूरी आठ किलोमीटर है। वह अगर कोई गंभीर रूप से बीमार पड़ गया तो 45 किलोमीटर दूर एमजीएम अस्पताल ले जाना पड़ता है।

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वह आगे कहते हैं कि खैर मनाइए, हमारे गांव में अभी कोई संक्रमित नहीं हुआ। कुछ लोगों को लक्षण नजर आया तो टेस्ट करवाया गया, लेकिन सभी निगेटिव मिले।

गांव के एक युवा बताते हैं कि वैक्सीन को लेकर लोगों में भ्रांतियां हैं। लेकिन यह जागरूकता के अभाव में हो रहा है। हम सब लोगों को कोरोना का टीका लेने के लिए कह रहे हैं। कई लोग वैक्सीन को लेकर गलत अफवाह फैलाते रहते हैं, जो सरासर गलत है। कई लोग को यह डर है कि वैक्सीन लेने के बाद बुखार, बदन दर्द, सिर चक्कर आएगा। हमलोग सभी को समझा रहे हैं, ऐसा होना स्वाभाविक है। इससे डरने की कोई बात नहीं।

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पंचायत की मुखिया सारो सरदार मिलती हैं। वह कहती हैं कि हमलोग पूरी टीम लोगों को जागरूक कर रहे हैं। हमलोग शहर वालों से अच्छे हैं। एक जगह जुटते भी हैं तो शारीरिक दूरी का ख्याल रखते हैं। हमारे गांव में शादी-विवाह हो या श्राद्ध कार्यक्रम, सभी में बिना मास्क के भाग लेने पर पूर्ण पाबंदी है। अगर कोई ऐसा करते पाया गया तो पंचायत संबंधित ग्रामीण को सजा सुनाती है। उन्हें आर्थिक दंड देने का भी प्रावधान है।

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मुखिया बताती हैं कि हम कोरोना से संबंधित सुरक्षा मानकों का पूरा पालन करते हैं। अगर कोई परदेस से गांव आता है तो उसे सात दिनों तक होम आइसोलेशन में रखा जाता है। अगर कोई लक्षण नजर नहीं दिखा, तभी ग्रामीणों से मिलने की इजाजत होती है। हम सभी किसान है और अपना माल बेचने हाट-बाजार में जाते हैं। ऐसे में सभी को वैक्सीन लेना जरूरी है।

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