पाकिस्तान में सराहनीय कदम, ट्रांसजेंडरों को मिला उनका पहला गिरजाघर

ट्रांसजेंडरों (Transgenders) आधिकारिक तौर पर ‘थर्ड जेंडर’ के रूप में मान्यता दे दी है लेकिन उनके परिवावाले उन्हें त्याग देते हैं जिसके बाद उन्हें भीख मांगकर, शादियों में नाच कर अपना गुजारा करना पड़ता है।

Transgenders

Transgenders got their first church in Pakistan II Pic Credits: DAWN

पड़ोसी देश पाकिस्तान विश्वस्तर पर अपने मानवाधिकार उल्लंघन के लिए ही मशहूर है, लेकिन कराची से एक ऐसी खबर निकल कर सामने आई है जो पाकिस्तान सरकार की तस्वीर को सुधारने का काम कर रही है। दरअसल पाक में ट्रांसजेंडरों (Transgenders) को उपेक्षा और निरस्कार की नजर से ही देखा जाता है, ऐसे में पाक सरकार ने ईसाई किन्नरों के लिए एक गिरिजाघर खोलने की अनुमति देकर विश्व में अपनी बुरी इमेज को सुधारने का काम किया है।

पाकिस्तान में ईसाई ट्रांसजेंडरों (Transgenders) को हमेशा सामाजिक बहिष्कार, उपहास और अपमान का सामना करना पड़ता है लेकिन समुदाय के लोगों का मानना है कि उनके लिये बनाए गए गिरिजाघर में अब उन्हें शांति और सांत्वना मिलेगी। ट्रांसजेंडरों  के मुताबिक, दूसरे गिरजाघरों में सुनवाई नहीं होने पर वे अपनी समस्याएं यहां साझा कर सकते हैं।

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पाकिस्तान में ‘फर्स्ट चर्च ऑफ यूनक (किन्नर)’ नाम का यह गिरजाघर केवल ट्रांसजेडर ईसाइयों के लिए है। ‘किन्नर’ शब्द दक्षिणी एशिया में अकसर महिला ट्रांसजेंडरों (Transgenders) के लिए उपयोग किया जाता है और कुछ लोग इसे अपमानजनक मानते हैं।

गिरजाघर की पादरी और सह संस्थापक गजाला शफीक के मुताबिक, उन्होंने अपनी बात रखने के लिये यह नाम चुना। बाइबल के उपदेशों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि किन्नरों पर ईश्वर की कृपा होती है। सभी धर्मों की ट्रांसजेंडर महिलाओं (Transgenders) और पुरुषों को रुढ़िवादी पाकिस्तान में सार्वजनिक रूप से अपमान, यहां तक की हिंसा का भी सामना करना पड़ता है।

सरकार ने हालांकि उन्हें (Transgenders) आधिकारिक तौर पर ‘थर्ड जेंडर’ के रूप में मान्यता दे दी है लेकिन उनके परिवावाले उन्हें त्याग देते हैं जिसके बाद उन्हें भीख मांगकर, शादियों में नाच कर अपना गुजारा करना पड़ता है। उनको अकसर यौन शोषण का भी सामना करना पड़ा है जिसके बाद उनके सामने यौनकर्मी बनने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचता।

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