
सांकेतिक तस्वीर।
सरकार और प्रशासन की नीतियों से कमजोर हो रहे नक्सलियों (Naxals) ने अपनी साख बचाने के लिए नई रणनीति बनाई है। इसके तहत माओवादियों ने जहां सालों से जमे अपने पदाधिकारियों को दूसरे स्थानों पर तैनात किया है। वहीं विचारधारा की लड़ाई को भी माओवादियों ने नई धार दी है। भाजपा-संघ के राष्ट्रवाद के जवाब में माओवादियों ने जनवादी स्वायतत्ता का नारा दिया है। साथ ही माओवादियों ने अपने कथित जनताना सरकार के तानाबाना व उसके बजट की भी समीक्षा की है।

यह सनसनीखेज जानकारी पिछले दिनों पुलिस नक्सली (Naxals) मुठभेड़ के बाद बरामद माओवादी दस्तावेजों से सामने आई है। माओवादियों द्वारा संगठन के बजट, विचारधारा, नोटबंदी के संबंध में हुए नुकसान को लेकर डीकेएसजेडसी की बैठक में पहली बार व्यापक विचार विर्मश के दस्तावेजी प्रमाण पुलिस को प्राप्त हुए हैं। सूत्रों के मुताबिक, बस्तर के अबूझमाड़ में अगस्त, 2019 में हुई दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी सचिवालय बैठक में पारित प्रस्तावों में स्वीकार किया है कि बस्तर में माओवादी विचारधारा के प्रति लोगों का रुझान कम हो रहा है, जिसके चलते संगठन में भर्ती के लिए युवा सामने नहीं आ रहे। माओवादियों (Naxals) के दक्षिण सबजोन में इस साल 150 लोगों की नई भर्ती हुई है।
लेकिन उत्तर एवं पश्चिम सबजोन में भर्ती का लक्ष्य पूर्ण नहीं हो पाया है। उत्तर में 60 तो पश्चिम में 30 नए लड़ाके ही संगठन में भर्ती होने की बात सामने आई है। दस्तावेज के मुताबिक, नक्सलियों (Naxals) ने क्षेत्र में समानांतर व्यवस्था कायम करने का दावा करते हुए कहा है कि अगस्त में दण्डकारण्य की कथित जनताना सरकार का बजट पेश किया है। जिसके मुताबिक, पिछले साल की अपेक्षा 20 फीसदी अधिक आवंटन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। पीएलजीए को बजट का ज्यादा हिस्सा देने की बात दस्तावेजों में कही गई है। नक्सलियों ने पहली बार स्वीकारा है कि नोटबंदी के दौरान उन्होंने विभिन्न माध्यमों से पुराने नोट जमा करवाए हैं। लेकिन अब तक पूरी राशि उन्हें वापस नहीं मिली है। पूरी राशि साल 2019 के अंत तक पार्टी खाते में जमा करने का आह्वान किया है।
डीकेएसजेडसी ने अपने तीन बड़े पदाधिकरियों का तबादला भी कर दिया है। दस्तावेजों के मुताबिक, कामरेड चंदु को पूर्व बस्तर डिविजन इंचार्ज से हटा कर सांस्कृतिक फ्रंट की जिम्मेदारी दी गई है। वहीं, डीवीसी सचिव राममन को उत्तर बस्तर डीविजन का इंचार्ज बनाया गया है। एक अन्य माओवादी नेता कमलेश को नक्सल बटालियन की 6वीं कंपनी का इंचार्ज बनाने की बात कही गई है। नक्सल ऑपरेशन के डीआईजी पी. सुंदरराज ने बताया कि बस्तर में माओवादियों का जनाधार सिमट रहा है। इससे माओवादी परेशान हैं। वे अपने संगठन की गतिविधियों के विस्तार के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं, लेकिन कुछ काम नहीं आने वाला है। बस्तर की जनता ने भी इन्हें नकार दिया है।
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