मध्य प्रदेश: नक्सली दे सकते हैं बड़ी वारदात को अंजाम, अलर्ट पर पुलिस

मध्यप्रदेश के नक्सल प्रभावित जिलों में नक्सलियों (Naxals) की सक्रियता बढ़ने की बात सामने आ रही है। बालाघाट, मंडला, डिडोरी और आसपास के इलाकों में नक्सली गतिविधियां बढ़ने की जानकारी मिल रही है।

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मध्यप्रदेश के नक्सल प्रभावित जिलों में नक्सलियों (Naxals) की सक्रियता बढ़ने की बात सामने आ रही है।

मध्य प्रदेश के नक्सल प्रभावित जिलों में नक्सलियों (Naxals) की सक्रियता बढ़ने की बात सामने आ रही है। बालाघाट, मंडला, डिडोरी और आसपास के इलाकों में नक्सली गतिविधियां बढ़ने की जानकारी मिल रही है। पुलिस के खुफिया सूत्रों के मुताबिक, जुलाई में हुई मुठभेड़ के बाद प्रदेश में अपना नेटवर्क बढ़ाने और अपना वर्चस्व कायम करने के लिए ये संगठन किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में हैं।

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फाइल फोटो।

इससे पहले भी बारिश के मौसम के दौरान छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के नक्सली संगठनों के कई सदस्यों की पेंच-कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के रास्ते मंडला और अमरकंटक की ओर जाने सूचना मिली थी। छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में पुलिस के बढ़ते दबाव की वजह से नक्सली (Naxals) मध्यप्रदेश को अपना ठिकाना बना रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, नक्सली इन दिनों पेंच-कान्हा कॉरीडोर के से होते हुए छत्तीसगढ़ से बालाघाट में प्रवेश कर मंडला-अमरकंटक की ओर जा रहे हैं। बालाघाट के बैहर और मंडला के बिछिया-मवई तहसील में ग्रामीणों ने पुलिस को भी संदिग्ध लोगों को देखे जाने की सूचना दी है।

बता दें कि बारिश से पहले भी इन क्षेत्रों में नक्सलियों (Naxals) ने शरण ली थी। तब नदी में पानी अधिक होने के कारण यह नक्सलियों के लिए सुरक्षित इलाका बन गया था। बालाघाट जिले के लांजी इलाके के देवरबेली स्थित पुजारी टोला में जुलाई में पुलिस ने मुठभेड़ में दो इनामी नक्सलियों (Naxals) को मार गिराया था। मुठभेड़ में तीन नक्सली फरार हो गए थे। इस घटना के बाद से ही नक्सली बौखलाए हुए हैं। सूत्रों का कहना है कि बहुत सारे बिना हथियारबंद नक्सली इन दिनों सीमावर्ती जिलों में सक्रिय हैं, जो गांव-गांव में बैठकें ले रहे हैं और ग्रामीणों को भड़का रहे हैं। बताया जा रहा है कि ये लोग नक्सलियों (Naxals) की विस्तार योजना के तहत काम कर रहे हैं। पिछले कई सालों से प्रदेश में नक्सलियों की जड़ें कमजोर हुई हैं।

इस मामले में बालाघाट के पुलिस अधीक्षक अभिषेक तिवारी का कहना है, ‘नक्सली (Naxals) बड़ी वारदात को अंजाम दे सकते हैं, ऐसी खबरें आती रहती हैं। पुलिस भी इसके लिए रोजाना एरिया डोमिनेशन करवा रही है। लगातार नक्सल प्रभावित चौकियों को अलर्ट पर रखा गया हैं। मुठभेड़ में जब इनके लोग मारे जाते हैं, तो लोगों की कमी के कारण बदला लेने की प्रवृत्ति नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में देखी गई है। इस कारण सतर्कता बरती जा रही है। स्थिति पूरी तरह हमारे नियंत्रण में है। महाराष्ट्र के गाोंदिया के पास एक गांव में इन दिनों तीन नक्सल प्रभावित राज्यों का संयुक्त कैंप लगाया गया है, जिस कारण बहुत सारी सूचनाएं भी एक-दूसरे से शेयर हो रही हैं। बेहतर समन्वय बन रहा है।’

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