सांकेतिक तस्वीर।
लातेहार और चतरा पुलिस की जांच में इसकी पुष्टि हो चुकी है कि नक्सलियों (Naxals) को नॉर्थ ईस्ट के प्रतिबंधित संगठन उल्फा व लिट्टे से एम 16 की खेप मिली थी।
झारखंड (Jharkhand) में नक्सलियों (Naxals) को लेकर एक बड़ी बात सामने आई है। फॉरेंसिक व बैलेस्टिक जांच में खुलासा हुआ है कि झुमरा रेंज के नक्सली सुरक्षाबलों को निशाना बनाने के लिए अमेरिकन एम 16 राइफल जैसे घातक हथियार का इस्तेमाल कर रहे हैं। 10 फरवरी को लुगू के टूटी झरना में हुई मुठभेड़ में भी नक्सलियों (Naxalites) ने इसी लाइट राइफल का इस्तेमाल किया था।
इसी राइफल की गोली सीआईएसएफ (CISF)के जवानों को लगी थी। मुठभेड़ के बाद बरामद राइफल की फॉरेंसिक व बैलेस्टिक जांच में इस बात की पुष्टि हुई है। बोकारो पुलिस के साथ एंटी नक्सल ऑपरेशन में लगी सीआरपीएफ 26 बटालियन के लिए भी यह चिंता का विषय है।
इससे पहले झारखंड के चतरा और लातेहार पुलिस ऑपरेशन के दौरान एम 16 राइफल बरामद की गई थी। लातेहार व चतरा पुलिस की जांच में इसकी पुष्टि हो चुकी है कि नक्सलियों (Naxals) को नॉर्थ ईस्ट के प्रतिबंधित संगठन उल्फा व लिट्टे से एम 16 की खेप मिली थी। जाहिर है झुमरा तक भी नॉर्थ ईस्ट के प्रतिबंधित संगठन के माध्यम से एम 16 राइफल आई।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अमेरिकन आर्मी में इस्तेमाल होने वाली एम 16 राइफल झारखंड पुलिस के एके 47 व इंसास से मुकाबला करने में सक्षम है। सुदूरवर्ती पहाड़ी इलाकों में काफी ऊंचाई और धुंध के बीच लंबी दूरी तक निशाना लगाने में कारगर है।
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इसका वजन लगभग साढ़े तीन किलो का है। हल्की होने की वजह से इसे लेकर मूवमेंट करना भी आसान है। एम 16 बेल्जियम के घातक हथियार आउट फॉल से मेल खाती है। झुमरा तक अमेरिकन एम 16 राइफल की पहुंच नक्सलियों के इरादे साफ जाहिर कर रही है।
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