दस्ते में शामिल कर लड़कियों का शोषण करते हैं नक्सली, एक बार उनके चंगुल में फंस गए तो निकलना मुश्किल

जब नक्सली (Naxal) दस्ते में शामिल किया जाता है तो बहुत सपने दिखाए जाते हैं। पर कोई भी वादा पूरा नहीं किया जाता। काम दिलाने और बेहतर जीवन जीने का ख्वाब दिखाकर दस्ते का सदस्य बना लिया जाता है।

Naxal

जब नक्सली (Naxal) दस्ते में शामिल किया जाता है तो बहुत सपने दिखाए जाते हैं। पर कोई भी वादा पूरा नहीं किया जाता।

जब नक्सली (Naxal) दस्ते में शामिल किया जाता है तो बहुत सपने दिखाए जाते हैं। पर कोई भी वादा पूरा नहीं किया जाता। काम दिलाने और बेहतर जीवन जीने का ख्वाब दिखाकर दस्ते का सदस्य बना लिया जाता है। पर बाद में सारे सपने ताश के पत्तों की तरह बिखर जाते हैं। एक बार उनके चंगुल में फंस गए तो फिर निकलना मुश्किल होता है। पैसा व सम्मान मिलना तो दूर, हर तरह का शोषण किया जाता है। 

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सरेंडर करने के बाद खोला नक्सली दस्ते का कच्चा-चिट्ठा।

‘जब नक्सली (Naxal) दस्ते में शामिल किया जाता है तो बहुत सपने दिखाए जाते हैं। लेकिन धीरे-धीरे सारे सपने टूट जाते हैं। दस्ता में शामिल होने से पहले बड़े नक्सली हर तरह की मदद का सहयोग देते हैं। एक बार उनके चंगुल में फंस गए तो फिर निकलना मुश्किल होता है। पैसा व सम्मान मिलना तो दूर, हर तरह का शोषण किया जाता है। कम उम्र की लड़कियों का शारीरिक शोषण होता है। दस्ता में रहकर अब घृणा होने लगी थी। विरोध करने पर जान से मारने की धमकी मिलती थी। नौकर की तरह काम कराया जाता था। पैसा तो दूर नक्सली (Naxal) दस्ते में सम्मान नहीं मिलता था। आज सरेंडर कर के बहुत खुशी हो रही है।’ ये बातें झारखंड के दुमका जिले में 24 जनवरी को पुलिस के सामने हथियार डालने वाले नक्सली (Naxal) राजेंद्र राय, रिमिल दा और छोटा श्यामलाल देहरी ने कही।

सरेंडर करने वाले तीनों नक्सली बताते हैं कि जब दस्ते में शामिल किया जाता है तो बहुत सपने दिखाए जाते हैं। पर भी वादा पूरा नहीं किया जाता। काम दिलाने और बेहतर जीवन जीने का ख्वाब दिखाकर दस्ते का सदस्य बना लिया जाता है। हम लोगों ने सही फैसला लिया। समाज की मुख्यधारा में जुड़कर हमें बेहद खुशी हो रही है। उपायुक्त राजेश्वरी बी ने कहा कि दो साल के अंदर नौ नक्सलियों ने सरेंडर किया है। सरकार की पुनर्वास नीति नई दिशा के तहत घर बनाने के लिए पांच डिसमिल जमीन, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 1.20 लाख रुपये, व्यवसायिक प्रशिक्षण के लिए एक साल तक प्रति माह छह हजार रुपये, परिवार की निश्शुल्क चिकित्सा, बच्चों की शिक्षा के लिए साल में 40 हजार रुपया, पुत्रियों के विवाह के लिए 30 हजार, स्वरोजगार के लिए चार लाख का ऋण, पांच लाख का बीमा, परिवार के सदस्यों का एक लाख का बीमा और खुली जेल में पुनर्वास केंद्र की सुविधा दी जाएगी।

आवास के लिए जमीन का चयन किया जा चुका है। प्रधानमंत्री आवास की स्वीकृति प्रदान की गई है। प्रयास है कि जल्द से जल्द सारी सुविधा मुहैया कराई जा सके। एसपी वाइएस रमेश ने कहा कि पिछले साल 13 जनवरी को ताला दा की मौत के बाद नक्सलियों की सोच में बदलाव आया है। लगातार कार्रवाई और सरकार की बेहतर पुनर्वास नीति के कारण अब नक्सलियों (Naxal) ने मुख्य धारा में लौटना शुरू कर दिया है। पुलिस भी लगातार नक्सलियों के परिवार के सदस्यों से बात कर रही है। नक्सलियों को अब समझ में आ गया है कि संगठन में रहना आसान नहीं है।

पढ़ें: दुमका में 5 लाख के दो इनामी सहित तीन नक्सलियों ने किया सरेंडर

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