सांकेतिक तस्वीर।
झारखंड (Jharkhand) के लोहरदगा जिले में प्रशासन नक्सली हिंसा (Naxal Violence) का शिकार हुए लोगों की मदद कर रहा है।
नक्सलियों (Naxalites) ने बीते कई दशकों से आम लोगों की जिंदगी को मुश्किल बना रखा है। उनके खूनी खेल ने न जाने कितनी ही जिंदगियां तबाह की हैं। हालांकि, सरकार और प्रशासन की कोशिशें अब रंग ला रही हैं। बीते कुछ सालों में नक्सली हिंसा (Naxal Violence) में कमी आई है। नक्सलियों की कमर अब लगभग टूट चुकी है। लेकिन नक्सलियों ने जो जख्म आम लोगों को दिए हैं वो भरने में वक्त लगेगा।
नक्सली हिंसा से पीड़ित लोगों की जिंदगी को सामान्य बनाने के लिए प्रशासन हर संभव कोशिश कर रहा है। इसी क्रम में झारखंड (Jharkhand) के लोहरदगा जिले में प्रशासन नक्सली हिंसा (Naxal Violence) का शिकार हुए लोगों की मदद कर रहा है।
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जिले में नक्सली हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों को प्रशासन की ओर से त्वरित आर्थिक सहायता सहित अन्य लाभ मिलेगा। डीसी ने इसे लेकर अधिकारियों को तमाम प्रक्रिया जल्द पूरा करने को कहा है।
साल 2020 में नक्सली हिंसा में मारे गए पेशरार प्रखंड के जागीर भगत की पत्नी लीलमनी बाखला को अनुदान के रूप में एक लाख रुपए और उनके बेटे प्रकाश भगत को चतुर्थवर्गीय कर्मचारी के रूप में नौकरी देने का प्रस्ताव गृह विभाग भेजने का फैसला किया गया है।
वहीं, साल 2019 में केकरांग घाटी में प्रेशर बम विस्फोट का शिकार हुई जगदीश उरांव की बेटी जमुना कुमारी के परिजनों को अनुग्रह अनुदान के रूप में एक लाख रूपए की राशि दियेए जाने के प्रस्ताव और उनके भाई राजकुमार उरांव को नौकरी दिए जाने का प्रस्ताव भी गृह विभाग को भेजने का फैसला हुआ है।
इसके अलावा, साल 2001 में नक्सली हिंसा (Naxal Violence) के शिकार लखन सिंह के पुत्र अमरजीत सिंह को चतुथवर्गीय कर्मी के रूप में नौकरी के लिए दिवंगत की पत्नी द्वारा भेजे गए आवेदन पर गृह विभाग से मार्गदर्शन मांगने का निर्णय लिया गया।
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वहीं, जून 2021 में पेशरार में उग्रवादी घटना में मारे गये हीरालाल टाना भगत के आश्रितों को सरकारी सहायता के लिए आवश्यक दस्तावेज जुटाने का निर्देश दिया गया है। डीसी ने सामाजिक सुरक्षा कोषांग के सहायक निदेशक को तत्काल सहायता राशि के रूप में बीस हजार रूपए मृतक के परिजन को देने को कहा।
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