झारखंड: ग्रामीणों को नक्सलवाद के रास्ते पर जाने से रोकने के लिए CRPF ने शुरू की ये पहल

सीआरपीएफ की 172 बटालियन ने इलाके के लोगों की बेरोजगारी को दूर करने के लिए पहल शुरू की है। सीआरपीएफ की इस पहल से ग्रामीणों ने चैन की सांस ली है।

CRPF

सीआरपीएफ  (CRPF) की 172 बटालियन ने इलाके के लोगों की बेरोजगारी को दूर करने के लिए पहल शुरू की है। इस पहल का आशय ये भी है कि ग्रामीण मुख्यधारा से ना भटकें और अपने परिवार का पेट खुद पाल सकें।

झारखंड: राज्य को नक्सलवाद से मुक्त कराने के लिए लगातार अभियान चलाया जा रहा है। ताजा मामला नक्सल प्रभावित क्षेत्र गढ़वा का है, जहां CRPF की तरफ से बेरोजगारी मिटाने के लिए पहल शुरू की गई है।

दरअसल गढ़वा के भंडरिया इलाके को घोर नक्सल प्रभावित इलाका माना जाता है। यहां के बूढ़े पहाड़ पर आज भी नक्सली डेरा डाले हुए हैं। हालही में नक्सलियों ने पहाड़ से सटे तराई गांव (छत्तीसगढ़) और गढ़वा के ग्रामीणों के घर से एक-एक सदस्य की मांग की थी।

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इसलिए सीआरपीएफ की 172 बटालियन ने इलाके के लोगों की बेरोजगारी को दूर करने के लिए पहल शुरू की है। इस पहल का आशय ये भी है कि ग्रामीण मुख्यधारा से ना भटकें और अपने परिवार का पेट खुद पाल सकें।

सीआरपीएफ की तरफ से एक तरफ घर की महिलाओं को टेलरिंग सिखाई जा रही है, वहीं युवकों को गाड़ी चलाना सिखाया जा रहा है।

टेलरिंग के जरिए महिलाएं घर बैठे कमाई करेंगी और भारी से भारी वाहन चलाकर युवक अपनी रोटी खुद कमा पाएंगे। सीआरपीएफ युवकों के ड्राइविंग लाइसेंस भी बनवा रही है, जिससे वह गाड़ी चलाकर अपने परिवार का पेट पाल सकें।

सीआरपीएफ की इस पहल से ग्रामीणों ने चैन की सांस ली है। एक ग्रामीण महिला ने बताया कि जब से CRPF आई है, तब से इलाके में शांति है, सीआरपीएफ की वजह से ही आज हम गांव में काम कर पा रहे हैं, नहीं तो हम जंगलों में ही दिखाई देते।

इस पहल का नेतृत्व कर रहे सीआरपीएफ 172 बटालियन के कमांडेंट आशीष झा ने बताया कि सीआरपीएफ हमेशा ऐसे काम करती रहती है, जिसमे समाज और देश की भलाई हो। इसीलिए इन महिलाओं को टेलरिंग की शिक्षा और युवकों को ड्राइविंग का काम सिखाया जा रहा है।

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