Independence Day 2019: पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था नक्सली, बेटी ने कहा – भविष्य में इंजीनियर, डॉक्टर बनना चाहती हूं

आज पूरा देश स्वतंत्रता दिवस का जश्न मना रहा है। ऐसे में हम एक मासूम बच्ची की कहानी इसलिए आपको बता रहे हैं क्योंकि यह बच्ची भी यहीं चाहती थी कि उसके पिता नक्सली विचारधारा से खुद को आजाद कर लें और समाज की मुख्यधारा में लौट आएं।

independence day, independence day 2019, independence day speech, independence day speech for teachers, independence day 2019 india, india independence day, independence day essay, independence day speech for teachers, independence day 2019 india, naxal, naxal daughter

आज पूरा देश स्वतंत्रता दिवस का जश्न मना रहा है। ऐसे में हम एक मासूम बच्ची की कहानी इसलिए आपको बता रहे हैं क्योंकि यह बच्ची भी यही चाहती थी कि उसके पिता नक्सली विचारधारा से खुद को आजाद कर लें

Independence Day 2019: मत पूछो मेरे पिताजी क्या करते थे? वो नक्सली थे…जिन्हें पुलिस द्वारा मार गिराया गया।’ यह कहना है एक मासूम बच्ची का जिसके पिताजी को साल 2016 में बिहार-झारखंड की सीमा के पास पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया था। आज पूरा देश स्वतंत्रता दिवस का जश्न मना रहा है। ऐसे में हम एक मासूम बच्ची की कहानी इसलिए आपको बता रहे हैं क्योंकि यह बच्ची भी यही चाहती थी कि उसके पिता नक्सली विचारधारा से खुद को आजाद कर लें और समाज की मुख्यधारा में लौट आएं। लेकिन अफसोस की ऐसा होना सका। झारखंड के बोकारो जिले के ऊपर घाट में रहने वाली यह मासूम बच्ची के पिता का नाम होरिल महतो है। होरिल कभी प्रतिबंधित माओवादी संगठन का सदस्य था।

संगठन में वो बिहार रीजनल कमेटी के लिए काम करता था और कई नक्सली गतिविधियों में शामिल रहा। पुलिस ने उसे जमुई के जंगलों में मार गिराया था। यह लड़की बताती है कि जब उसके पिता जिंदा थे और नक्सली विचारधारा की बेड़ियों में जकड़े हुए थे उस वक्त वो उससे प्यार जताना तो दूर उसे छूना तक पसंद नहीं करते थे। इस बच्ची ने हाल ही में आयोजित एक लेख प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था। यहां इस बच्ची ने बताया कि वो भी बड़ा होकर इंजीनियर डॉक्टर बनना चाहती है। इस प्रतियोगिता में इस बच्ची ने नक्सलवाद को देश की सबसे बड़ी समस्या बताया है तथा कहा कि नक्सली देश के विकास में बाधक हैं। जरा गौर से पढ़िए की एक मासूम सी बच्ची जिसके पिता कभी खुद ही नक्सली थे उसने कैसे देश की इस समस्या पर अपने निबंध के जरिए चोट किया।

‘किसी भी बच्चे की मां अथवा बाप नक्सली पथ को अपनाते हैं तो बच्चे का भविष्य अधर में लटक जाता है। वहीं बच्चों के हर ख्वाहिश को नक्सली माता-पिता पूरा नहीं कर पाते जैसा कि मेरे साथ हुआ है। मैं बचपन से चिकित्सक बनना चाहती थी परंतु यह केवल मेरी कल्पना बनकर रह गई है। अब मैं दसवीं पास कर गई हूं…मैं खुद आगे की पढ़ाई करुंगी और अपनी मंजिल तब खुद पहुंच जाऊंगी।’ यह निबंध प्रतियोगिता मासूम बच्ची के गांव में आयोजित कराई गई थी। इस बच्ची ने यहां कहा कि उसने अपने पिता से कई बार कहा कि वो नक्सलवाद छोड़ दें लेकिन उन्होंने उसकी नहीं सुनी।

पढ़ें: जम्मू कश्मीर में सिर्फ 2 महिला IAS और IPS अफसर हैं तैनात

Hindi News के लिए हमारे साथ फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर जुड़ें और डाउनलोड करें Hindi News App

यह भी पढ़ें