भारतीय सेना की जबरदस्त घेराबंदी की बदौलत दबे पांव लौटी चीनी सेना, पहली बार भारत ने चीन के अधिकार वाले पोस्ट पर कब्जा किया

असल में चीन 59 स्थानों पर दावा करता रहा है‚ जहां भारतीय सेना (Indian Army) भौतिक रूप से मौजूद नहीं है। इस बार उसे मुंह की खानी पड़ी और वापस जाना पड़ा।

Indian Army

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पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय सेना (Indian Army) की जबरदस्त घेराबंदी के कारण ही रविवार रात चुशुल गांव के पास 500 चीनी सैनिकों की घुसपैठ की कोशिश न केवल नाकाम हो गई‚ बल्कि उसे उल्टे पांव पीछे लौटना पड़ा। चार और पांच अप्रैल को गलवान घाटी में खूनी संघर्ष के बाद से भारतीय सेना ने दौलत बेग ओल्डी से लेकर लद्दाख के पैंगोंग त्सो लेक तक जबरदस्त घेराबंदी कर रखी है ताकि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर कोई परिंदा भी पर नहीं मार सके। ब्रिटिश अखबार टेलीग्रॉफ के अनुसार, चीनी सेना के हालिया हरकत के बाद भारतीय सेना ने चीनी अधिकार वाले क्षेत्र में 4 किलोमीटर अंदर घुसकर उनके सबसे महत्वपूर्ण पोस्ट पर अपना कब्जा जमा लिया है और वहां से चीनी सैनिकों को वापस खदेड़ दिया है। भारतीय सेना ने रेजांगला के करीब रैकिन दर्रे पर कब्जा कर लिया है।

भारतीय सेना (Indian Army) ने चीनी क्षेत्र पर किया कब्जा

रैकिन दर्रा चीन-तिब्बत के रैकिन ग्रेजिंग एरिया के काफी करीब है। जो चुशुल गांव से करीब 10 किमी की दूरी पर है। ये सभी इलाके पहाड़ों की चोटी पर हैं, यहां से पूरे इलाकों को डोमिनेट किया जा सकता है। भारत ने अपनी सीक्रेट स्पेशल फ्रंटियर फोर्स को पैंगोंग-त्यो लेक के काफी करीब तैनात किया हुआ है, जहां पर हालहीं में चीन के कारण विवाद हुआ है। भारत द्वारा इन इलाकों पर कब्जा करने में स्पेशल फ्रंटियर फोर्स की भी अहम भूमिका मानी जा रही है। हालांकि सैन्य अधिकारियों ने ऑपरेशनल-जानकारी शेयर करने से इनकार कर दिया है।

भारतीय सेना की इस जवाबी कार्रवाई से चीन पूरी तरह से बौखला गया है और एलएसी पर दोनों तरफ से काफी तनाव का माहौल है। जिसे देखते हुये भारतीय सेना (Indian Army) की मदद के लिए वायु सेना ने लेह स्थित एयर बेस पर सुखोई फाइटर जेट तैनात किए हुए हैं, जबकि अंबाला एयर बेस पर तैनात राफेल लड़ाकू विमान उड़ान भरने को तैयार बैठे हैं जो आगामी 10 सितम्बर से एलएसी की चौकसी पर लगा दिए जाएंगे।

पैंगोंग झील के किनारे भारत-चीन के बीच फिर हुई झड़प, सेना ने दिया मुंहतोड़ जवाब

एलएसी पर सेना (Indian Army) के करीब 7000 जवान एकत्र हैं। इस पूरे क्षेत्र में विषम भौगोलिक परिस्थितियां हैं और तापमान शरीर को जमा देने वाला है। इसके बावजूद सेना के जवान ताल ठोंककर दुश्मन का मुकाबला करने को तैयार बैठे हैं।

भारतीय सेना (Indian Army) के मुताबिक‚ 20 और 30 अगस्त की रात को चीन ने पैंगोंग त्सो लेक के दक्षिणी भाग से घुसपैठ करने की कोशिश की। यह पहला मौका है‚ जब चीन दक्षिण की तरफ आया है। अभी तक चीन ने गलवान घाटी पेट्रोलिंग प्वाइंट 17 यानी गोगरा पोस्ट‚ हॉट स्प्रिंग‚ फिंगर 8 और फिंगर 4 में ही घुसपैठ की कोशिश की थी। दोनों देशों के बीच सीमा पर गतिरोध खत्म करने के लिए लगभग चार महीने से कमांडर और राजनयिक स्तर की बैठक हो रही है। कुल मिलाकर अब तक करीब 25 बैठकें हो चुकी हैं। इन बैठकों में दोनों पक्षों ने चार अप्रैल से पहले की यथास्थिति बनाए रखने पर सहमति व्यक्त की‚ लेकिन चीन सहमत होने के बावजूद भी पीछे हटने से मुकरता रहा है। अभी चीन की सेना कोबरा पोस्ट और फिंगर 4 के रिज एरिया में बैठी हुई है।

भारतीय सेना (Indian Army) की चौकसी को देखते हुए उसने बड़ी चालाकी से रात के अंधेरे में पैंगोंग त्सो लेक के दक्षिणी छोर पर कब्जा करने की कोशिश की। वो अपने साथ गोला–बारूद और स्थाई रूप से टिकने के लिए टेंट के साथ करीब 200 सैनिकों को साथ लाए थे। चीनियों का तर्क है कि उत्तर में फिंगर 4 के समान दक्षिण में भी उसका दावा है।

असल में चीन 59 स्थानों पर दावा करता रहा है‚ जहां भारतीय सेना (Indian Army) भौतिक रूप से मौजूद नहीं है। इस बार उसे मुंह की खानी पड़ी और वापस जाना पड़ा। चीनी हरकत से नाराज होकर भारतीय फौज ने फ्लैग मीटिंग का आह्वान किया था‚ जिस पर दोनों पक्ष चुशुल में बैठकर मंथन कर रहे हैं। यदि चीन पैंगोंग त्सो लेक के दक्षिणी भाग में आया तो फिर धीरे–धीरे लेह की तरफ बढ़ेगा। अभी पैंगोंग त्सो लेक दोनों के बीच सीमा का काम कर रही है। चीन की इस ताजा हरकत के बाद से एक बार फिर से दोनों देशो की सेनाएं आमने सामने हैं। सेना ने अरुणाचल से लेकर लद्दाख तक पूरे क्षेत्र में सेना को हाई अलर्ट पर रखा है।

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