
इटैलिएन कॉलेज ऑफ ऐनेस्थेसिया‚ आग्लेशिया में 11 मार्च को कोरोना (Coronavirus) के इलाज को लेकर एक ऐसा आदेश जारी किया गया जो मानवीय सभ्यता के इतिहास में भावनात्मक दृष्टि से हृदय विदारक था। इसमें वहां के स्वास्थ्यकर्मियों को कहा गया था कि कोरोना वायरस (Coronavirus) से पीडित जो युवा हैं‚ उन्हें बचाइए‚ सत्तर वर्ष या उस से अधिक उम्र वाले रोगियों को बचाने में अपनी ऊर्जा और संसाधन जाया मत करिए।
जरा गौर करने वाली बात यह है कि इटली की कुल जनसंख्या में लगभग 23 प्रतिशत आबादी 65 से अधिक उम्र वालों की ही है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार इटली में हुई कुल मौतों में 86 प्रतिशत मौतें 70 उम्र से ज्यादा उम्र वालों की हुई हैं।
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इस तरह की खबरें आने के बाद दुनिया भर के वरिष्ठ नागरिकों की मानसिक स्थिति की कल्पना करने पर भी मन कांप उठता है। एक कहावत है कि एक तो करेला‚ ऊपर से नीम चढ़ा। कोरोना के कारण यही हाल दुनिया भर के वरिष्ठ नागरिकों का है।
इम्पीरियल कॉलेज ऑफ लंदन ने कोरोना पर अपने अध्ययन में दावा किया है कि वरिष्ठ नागरिकों‚ जिनकी उम्र 80 वर्ष या उससे ज्यादा है‚ की कोरोना (Coronavirus) से मृत्यु की संभावना 40 वर्ष के युवा रोगी की तुलना में 10 गुना अधिक है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन और हेल्पऐज इंटरनेशनल के अनुसार विश्व का हर दुसरा वरिष्ठ नागरिक कोई ना कोई गंभीर स्वास्थ्य समस्या जैसे डायबिटीज‚ हाई ब्लड प्रेशर‚ दमा या डिमेंशिया इत्यादि से पीडित रहता ही है।
वहीं अगर अमेरिका के नेशनल हेल्थ सेंटर के आकड़ों की बात करें तो लगभग 37 प्रतिशत अमेरिकी हृदय संबंधी रोगों से पीडित हैं। वैसे भी दुर्बलता‚ बीमारी‚ पोषण संबंधी कमियां‚ अवसाद‚ अकेलापन और वित्तीय सुरक्षा की कमी से दुनिया भर के वरिष्ठ नागरिक जुझते ही रहते हैं। ऐसे में कोरोना उनके ऊपर मौत बनकर टूट रहा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो 30 मार्च‚ 2020 तक 195 देशों में 663,928 से ज्यादा लोग कोरोना से सक्रमित हो चुके हैं जबकि 30,880 लोगों की मृत्यु हो चुकी है।
इन हालात के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 21 दिन का देश भर का लॉकडाउन (Lockdown) का फैसला सराहनीय और आवश्यक कदम माना जाएगा क्योंकि भारत में भी 70 वर्ष से अधिक आयु वाले वरिष्ठ नागरिकों की संख्या तीन करोड़ से भी ज्यादा है। वहीं 2011 की जनगणना के अनुसार 60 वर्ष से अधिक उम्र वालों की संख्या 11 करोड़ से अधिक अनुमानित है।
हालांकि लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे और दिहाड़ी मजदूरी करने वाले वरिष्ठ नागरिकों को गंभीर समस्याओं का समाना करना पड़ रहा है। साथ ही‚ लॉकडाउन (Lockdown) के बाद संभावित आर्थिक मंदी का सबसे ज्यादा भार भी इन्हीं दो वर्गों पर सबसे ज्यादा पड़ने की आशंका है।
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