
लॉकडाउन (Lockdown) लागू होने के बाद काम की तलाश में परिवार के साथ तेलंगाना में मारे-मारे फिर रहे छत्तीसगढ़ के गरीब आदिवासी की एक 12 वर्षीय बच्ची ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। 3 दिनों से भूखा प्यासा यह कुनबा पैदल चल रहा था। पूरा परिवार 100 किलोमीटर की पदयात्रा करके पैदल बस्तर आ रहा था।
तेलंगाना से 100 किमी पैदल चलकर आते 12 साल की बच्ची ने छत्तीसगढ़ के बीजापुर में अपने घर से 14 किमी पहले ही तोड़ा दम तोड़ दिया। ‘जमलो मड़कम’ नाम की लड़की के बारे में जैसे ही खबर छत्तीसगढ़ पहुंची तो पूरा प्रशासन तंत्र हिल गया। इस परिवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने फौरन पांच लाख रुपए की सहायता राशि मंजूर की है।
बताया जा रहा है कि पलायन करने वाले कुनबे में गांव के 11 दूसरे लोग भी थे लेकिन जंगल के रास्ते जब लड़की बीमार पड़ी तो उसे किसी तरह का इलाज नहीं मिल सका।
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खबरों के मुताबिक काम न मिलने की वजह से हालात भुखमरी जैसे थे‚ इसलिए जमलो मड़कम का परिवार गांव लौटना चाहता था। मड़कम परिवार तेलंगाना के पेरूर गांव से चला था।
बारह साल की मासूम पैदल अपने छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के गांव आदेड़ के लिए चली। रास्ते में तबीयत बिगड़ गई‚ फिर भी तीन दिन में करीब 100 किमी का सफर पूरा किया। लेकिन अपने गांव से महज 14 किमी पहले बच्ची ने दम तोड़ दिया। उसके साथ गांव के 11 दूसरे लोग और भी थे‚ लेकिन जंगल के रास्ते उसे किसी तरह का इलाज नहीं मिल सका। बच्ची के पेट में दर्द हो रहा था।
बीजापुर के आदेड़ गांव की जमलो मड़कम को पेरूर गांव में मिर्ची तोड़ने का काम मिला था। लॉकडाउन (Lockdown) में काम बंद हो गया तो 16 अप्रैल को जमलो और गांव के 11 दूसरे लोग तेलंगाना से वापस बीजापुर के लिए पैदल ही निकले। दूसरे दिन जमलो की तबीयत बिगड़ी‚ 18 अप्रैल को मोदकपाल इलाके के भंडारपाल गांव के पास ही पहुंचा था कि जमलो ने दम तोड़ दिया। जमलो अपने माता–पिता की इकलौती लाडली थी।
छत्तीसगढ़ सरकार ने पहले मरने वाली बालिका के घर वालों को एक लाख रुपए सहायता की घोषणा की जिसे बढ़ा कर पांच लाख कर दिया गया। सरकार ने हेल्प लाइन नंबर जारी कर मजदूरों से संपर्क किए जाने पर पूरी मदद का आश्वासन दिया है।
छत्तीसगढ़ के करीब 72,000 मजदूर विभिन्न राज्यों में लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान फंसे हुए हैं जिनको राज्य सरकार ने सूचीबद्ध कर के आर्थिक सहायता भेजना शुरू की है।
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