कुछ लोगों की लापरवाही से नये इलाकों के हॉटस्पॉट बनने का खतरा बढ़ा, हाई रिस्क पर हैं NCR की बस्तियां

कोरोना (Coronavirus) प्रभावित इलाकों के लोगों में से कोई कोरोना का वाहक बनकर इन बस्तियों में किसी के संपर्क में आया हो और अब आगे कुछ और भी लोग कोरोना के वाहक बन गए हो।

Coronavirus

दिल्ली सीमा से सटे गाजियाबाद के इलाकों की सैकड़ों कॉलोनियां कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण के हाई रिस्क पर हैं। वजह दिल्ली सीमा से सटा इलाका होने के साथ यहां के लोगों का दिल्ली के विभिन्न इलाकों में बराबर आवागमन जारी रहना है वजह प्रॉपर सेनिटाइजेशन न होना है। इसी खतरे के चलते दिल्ली–गाजियाबाद के बीच आवागमन को प्रतिबंधित कर दिया गया है। लेकिन जिला प्रशासन तब तक नहीं चेता जब तक प्रदेश सरकार के एड़ीशनल चीफ सेक्रेटरी अवनीश अवस्थी ने लॉकड़ाउन का ठीक से पालन न कराने वाले 40 जिलों में गाजियाबाद का नाम भी गिनाया और स्थिति असंतोषजनक बताई। नतीजतन दो दिनों में 16 कोरोनापाजिटिव मरीज सामने आ गए।

यह भी किसी से छुपा नहीं है कि दिल्ली में कोरोना (Coronavirus) के रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ी है‚ जहां शुरू में दिल्ली में मात्र कोरोना के 22 हॉटस्पॉट चिन्हित किए गए थे आज बढ़कर 84 हो गए हैं। पुलिस मुख्य मार्गों पर बैरिकेड लगाकर जांच तो कर रही थी मगर आवागमन प्रतिबंधित नहीं था। मेन रोड के अलावा भी तमाम गलियां और छोटी सड़कें ऐसी हैं जिनके जरिए लोनी और दिल्ली के बीच आवागमन होता रहता है।

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बैंकों में लगने वाली भीड़ और घर से बाहर बिना मास्क के निकलना कोरोना (Coronavirus) वायरस को लोगों का खुला न्योता है। बैंकों के बाहर लगने वाली भीड़़ की वजह सरकार की ओर से महिलाओं‚ मजदूरों व अन्य पात्र लोगों के खातों में भेजी गई रकम को तत्काल निकालने की जल्दी है।

लोगों के बीच यह अफवाह फैली हुई है कि यदि सरकार की ओर से खातों में भेजी गई मदद की राशि तत्काल नहीं निकाली गई तो यह पैसा सरकार उनके खातों से वापस निकाल लेगी। बैंकों के बाहर जमा होने वाली भीड़ को बैंक की ओर से रोज ध्वनि विस्तारक यंत्र पर बताया जाता है कि यह केवल अफवाह है इस पर ध्यान न दें।

वहीं जिले में तमाम इलाके ऐसे हैं जहां व्यापक पैमाने पर सैनिटाइजेशन का काम कराने की जरूरत है। अभी तक इन इलाकों में प्रॉपर सेनिटाइजेशन नहीं हुआ है। इनमें ज्यादातर कालोनियां लोनी इलाके की हैं। ये इलाके जिले के स्लम क्षेत्र और सघन बसी हुई निम्न वर्गीय नागरिकों की बस्तियां हैं।

यह बात अलग है कि इन बस्तियों में से ज्यादातर में अभी तक कोरोना के केस सामने नहीं आए हैं‚ मगर वहां कोई कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमित न हो इस बात की गारंटी नहीं है। कई इलाके जो करोना के हॉटस्पॉट के रूप में चिन्हित हुए और अब पूरी तरह सील हैं उन सील्ड़ इलाकों के आसपास की बस्तियां भी कोरोना की जद में हो सकती हैं।

यानी इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि कोरोना (Coronavirus) प्रभावित इलाकों के लोगों में से कोई कोरोना का वाहक बनकर इन बस्तियों में किसी के संपर्क में आया हो और अब आगे कुछ और भी लोग कोरोना के वाहक बन गए हो।

पीएम नरेन्द्र मोदी ने भी लॉकडाउन–2 की घोषणा करते समय इस बात पर जोर दिया था कि हॉटस्पॉट घोषित क्षेत्रों के अलावा उन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाए जिनके हॉटस्पॉट बन जाने की आशंका या खतरा है।

सर्वविदित है कि प्रधानमंत्री ने कहा था कि कस्बे‚ थाने‚ हर जिले और हर राज्य को बड़ी बारीकी से परखा जाए। लॉकडाउन में बाहर निकलने के लिए बहुत सख्त नियम होंगे।

लॉकडाउन के दौरान आमजन खाने–पीने के जरूरी सामान और वक्त जरूरत के लिए नगदी पास रखने को लेकर बैंकों‚ उनके के एटीएम और सब्जी मंडियों में अब भी भीड़ उमड़ रही है। सोशल डि़स्टेंसिंग हो या मास्क लगाए बिना घर से बाहर निकलना‚ कोरोना (Coronavirus) वायरस से बचाव के प्रति लापरवाही बरतने के मामले रोज–ब–रोज दिख ही जाते हैं।

लोगों के लिए यह समझना बहुत जरूरी है कि वर्तमान हालात में आत्मसंयम और आत्मानुशासन ही उनका और उनके अपनों का जीवन बचा सकता है। बार–बार चेताने के बाद भी बैंकों व एटीएम के बाहर लगने वाली लाइन में लोग एक दूसरे से सुरक्षित दूरी पर खड़े होने की सावधानी नहीं बरत रहे हैं। ऐसी स्थितियां कोरोना (Coronavirus) से बचाव की कोशिशों में ऐसे बड़े छेद हैं जो ऐसी लापरवाही करने वाले लोगों ही नहीं उनके परिवार‚ समाज‚ शहर यहां तक कि पूरे देश को बहुत भारी पड़ सकते हैं।

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