कोरोना से हो रही मौतों पर हुई रिसर्च में खुलासा, इस बीमारी में स्पाइक प्रोटीन की अहम भूमिका

टीम ने लैब में इस प्रक्रिया को एक बार फिर दोहराया‚ जिसमें स्वस्थ एंडोथेलियल सेल्स को स्पाइक प्रोटीन के संपर्क में लाया गया। इसमें पता चला कि स्पाइक प्रोटीन ने एसीई 2 को बांधकर अन्य सेल्स को नुकसान पहुंचाया।

Spike Protein

सार्स–कोडिव–2 (Coronavirus) के विशिष्ट स्पाइक प्रोटीन (Spike Protein) के बारे में यही समझा जाता रहा है कि इनसे शरीर में मौजूद स्वस्थ सेल्स को नुकसान पहुंचता है‚ लेकिन वैज्ञानिकों ने एक नए शोध में पाया है कि बीमारी में भी इसकी एक महत्वपूर्ण भूमिका है।

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सकुर्लेशन रिसर्च नामक जर्नल में प्रकाशित पेपर में दिखाया गया है कि कोविड एक वेसल्स संबंधी रोग है। इसमें दिखाया गया है कि किस प्रकार से यह वाहिकाओं (Vessels) को नुकसान पहुंचाता है। वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध के निष्कर्षों से कोविड (Coronavirus) की कई असम्बद्ध जटिलताओं की व्याख्या करने में मदद मिली है और हो सकता है कि इससे आने वाले समय में कई प्रभावी थेरेपी को लेकर नए शोध के लिए दरवाजे भी खुलें।

कैलिफोर्निया के साल्क इंस्टीट्यूट में असिस्टेंट रिसर्च प्रोफेसर उरी मेनॉर ने बताया कि कई लोगों का ऐसा मानना है कि यह श्वसन संबंधी रोग है‚ लेकिन वास्तव में यह वाहिकाओं (Vessels) से संबंधित है।’

मेनॉर आगे बताते हैं कि इसे इस प्रकार से समझा जा सकता है कि क्यों कुछ लोगों को स्ट्रोक आता है और क्यों कुछ और लोगों को शरीर के अन्य भागों में दिक्कतें आ रही हैं। इनमें समानता बस एक ही है कि इसका वाहिकाओं (Vessels) पर असर पड़ता है।

शोध में पहली बार इस मैकनिज्म का खुलासा हुआ है‚ जिसके माध्यम से प्रोटीन द्वारा वैस्कुलर सेल्स को नुकसान पहुंचाया जाता है। इस मैकनिज्म को पहले नहीं समझा जा सका था। ठीक इसी तरह से वैज्ञानिकों का लंबे समय से इस बात पर शक रहा है कि वैस्कुलर एंडोथेलियल सेल्स को नुकसान पहुंचाने में स्पाइक प्रोटीन (Spike Protein) का योगदान रहता है‚ लेकिन इस बार पहली दफा इस प्रक्रिया का दस्तावेजीकरण किया गया।

इस शोध में टीम द्वारा एक स्यूडोवायरस का गठन किया गया‚ जो सार्स–कोविड–2 (Coronavirus) के स्पाइक प्रोटीन (Spike Protein) से घिरा रहा। हालांकि इसमें असली का कोई वायरस नहीं रहा। इस स्यूडोवायरस के संपर्क में आकर जानवरों के बनाए गए मॉडल के फेफड़े और आर्टेरिज (Arteries) पर असर पड़ा। इससे साबित होता है कि स्पाइक प्रोटीन बीमारी के लिए पर्याप्त है। टिश्यू के सैंपल से पता चला है कि फुफ्फुसीय आर्टेरी (Arteries) की दीवारों पर मौजूद एन्डोथेलियल सेल्स में सूजन दिखाई पड़ी।

टीम ने लैब में इस प्रक्रिया को एक बार फिर दोहराया‚ जिसमें स्वस्थ एंडोथेलियल सेल्स को स्पाइक प्रोटीन के संपर्क में लाया गया। इसमें पता चला कि स्पाइक प्रोटीन (Spike Protein) ने एसीई 2 को बांधकर अन्य सेल्स को नुकसान पहुंचाया। इससे एसीई 2  के मॉड्यूल में भी रूकावट आई‚ जिससे माइटोकॉन्ड्रिया को नुकसान पहुंचा।

 

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