कोरोना के खिलाफ जंग में कूदी महिलाएं, वायरस से बचाव के लिए मोबाइल को बनाया हथियार

बिहार के मुजफ्फरपुर की दर्जनों ग्रामीण महिलाओं ने मोबाइल फोन को ही कोरोना वायरस (Coronavirus)  से लड़ने के लिए एक हथियार बना लिया है।

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आज जहां पूरा देश या यूं कहें पूरा विश्व कोरोना (Coronavirus) जैसी महामारी से लड़ रहा है‚ वहीं बिहार के मुजफ्फरपुर की महिलाओं ने मोबाइल फोन को ही कोरोना वायरस (Coronavirus)  से लड़ने के लिए एक हथियार बना लिया है। मुजफ्फरपुर की दर्जनों ग्रामीण महिलाएं अपने ‘हेलो सखी चेन’ के माध्यम से हर दिन सैकड़ों परिवारों को इस बीमारी से बचने के लिए जागरूक कर रही हैं। ये महिलाएं‚ हालांकि कम पढ़ी–लिखी हैं लेकिन फोन पर यह अच्छे तरीके से बात करती हैं और इस लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान गांव में बाहर से आने वाले लोगों की जानकारी भी अधिकारियों को उपलब्ध करा रही हैं।

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प्रतिकात्मक तस्वीर: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की ग्रामीण महिलाएं हेलो सखी चेन (Hello Sakhi Chain) के जरिए लोगों को Coronavirus के खिलाफ लोगों को जागरूक कर रही हैं। Photo Credit- Kevin T. Pepper

जिले की बोचहां की रहने वाली एक महिला अपने पास के ही गांव में रहने वाली एक अन्य महिला को फोन कर समझा रही हैं‚ ‘हेलो‚ हम बोचहा से रोशनी बोल रही हूं। क्या आप कोरोना (Coronavirus)  के बारे में जानती हैं? आपको घबराने की बजाय थोड़ा एहतियात बरतने की जरूरत है। सबकुछ ठीक हो जाएगा। आपको गांवों में आने वाले किसी भी बाहरी व्यक्ति के बारे में प्रशासन को सूचित करना होगा।’

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ये महिलाएं ऐसे ही कई जान पहचान वाली महिलाओं को फोन कर कोरोना (Coronavirus) से बचाव की सलाह दे रही थी कि वह लोगों से सामाजिक दूरी बनाए रखें। इन गांव की महिलाओं ने लोगों को जागरूक करने के लिए ‘हेलो सखी चेन’ बनाया है। इस चेन के माध्यम से एक दिन में एक महिला 20 से 30 परिवारों का हालचाल पूछ रही हैं।

इन महिलाओं ने मैथिली‚ भोजपुरी‚ बज्जिका जैसी क्षेत्रीय भाषा में जागरूकता गीत भी बनाए हैं। इन गीतों के जरिये भी मोबाइल फोन से लोगों तक अपनी बात पहुंचा रही हैं। ‘हेलो सखी चेन’ अभियान प्रारंभ करने वाली संस्था ज्योति की एक सदस्य ने बताया कि‚ ‘आज मोबाइल फोन सभी गांवों में हैं और सभी महिलाओं के पास भी है। लॉकडाउन (Lockdown) में कोरोना (Coronavirus) से लड़ने का इसी को हमने साधन बनाया। ये महिलाएं अपने क्षेत्र के बारे में बेहतर जानती हैं। सभी स्थानीय भाषा में बात कर सकती हैं।’

वे कहती हैं कि जिले के 17 में से बोचहां‚ मीनापुर‚ बंदरा समेत छह प्रखंडों में इस अभियान के तहत लोगों को जागरूक किया जा रहा है। बाहर से आने वाले लोगों को तथा उनके परिजनों को भी यह महिलाएं 14 दिनों तक अलग रखने की सलाह भी दे रही हैं ।

इस अभियान में 25 से 30 महिलाएं जुड़ी हैं‚ जो दिन के 10 बजे तक घर का काम निपटाकर लोगों को फोन करने का काम शुरू करती हैं। यह काम चार बजे शाम तक चलता है। इस अभियान में शामिल प्रत्येक महिलाएं कम से कम 20 लोगों को फोन कर रही हैं।

सभी लोगों की अपनी सामाजिक जिम्मेदारियां हैं‚ जिसे हम निभा रहे हैं। सभी कुछ सरकार पर नहीं छोड़ सकते हैं। लोगों को समझाने का काम जितने ठीक ढ़ंग से महिलाएं कर सकती हैं‚ उतना पुरुष नहीं कर सकते। इसके जरिए सैकड़ों परिवारों को इस बीमारी से बचने के लिए जागरूक करके ये महिलाएं मानवता की मिसाल पेश कर रही हैं।

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