
फाइल फोटो।
भारत और पाकिस्तान ने साल 2003 में एलओसी पर एक औपचारिक युद्धविराम (Ceasefire) का ऐलान किया था। भारत और पाकिस्तान के बीच 25 नवंबर, 2003 की आधी रात से युद्धविराम लागू हुआ था। लेकिन आज इस युद्धविराम के कोई मायने नहीं रह गए हैं। पाकिस्तान की ओर से लगातार सीजफायर का उल्लंघन किया जा रहा है। आइए जानते हैं भारत-पाकिस्तान के बीच युद्धविराम समझौते के बारे में-
दरअसल, युद्धविराम (Ceasefire) किसी भी युद्ध को अस्थायी तौर पर रोकने को जरिया होता है। इसके तहत हुए समझौते में दो पक्ष सीमा पर आक्रामक कार्रवाई ना करने का वादा देते हैं। युद्धविराम को आप दो देशों के बीच हुई एक औपचारिक संधि मान सकते हैं। साथ ही इस समझौते के तहत दो देशों की सेनाओं के बीच भी एक अनौपचारिक समझौता होता है। युद्धविराम बॉर्डर पर लड़ाई को खत्म करने के समझौते से कहीं ज्यादा होता है।
इतिहास-
आजादी के बाद साल 1947 में भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर के लिए युद्ध हुआ था। जिसे शांत कराने के लिए संयुक्त राष्ट्र को बीच में आना पड़ा था। इसके बाद साल 1949 में भारत और पाकिस्तान ने आपसी सहमति से जम्मू-कश्मीर पर एक सीजफायर लाइन स्थापित की। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र ने एक पत्र जारी किया जिसमें लिखा था कि ये सीजफायर भारत और पाकिस्तान के बीच दुश्मनी दूर करने का प्रतीक है। इसके बाद दोनों देशों के सैन्य प्रमुखों के बीच बैठक हुई, जिसमें सीजफायर लाइन पर सहमती जताई गई।
90 के दशक में कश्मीर में आतंकवाद ने अपनी पैठ बनानी शुरू की और पाकिस्तान इसका खुलकर सपोर्ट करता था। पीओके और भारतीय सीमा से सटे पाकिस्तानी इलाकों में पाक सेना खुद आतंकियों के ट्रेनिंग कैंप चला रही थी। इसी दौरान भारत और पाक सेनाओं के बीच लगातार सीजफायर उल्लंघन की घटनाएं सामने आती थीं। भारतीय सेना लगातार आरोप लगा रही थी कि सीजफायर उल्लंघन के जरिए पाकिस्तानी सेना आतंकियों को सीमा पार कराने का काम कर रही है।
साल 1990 में भारत ने एलओसी पर बैरियर्स लगाने का काम शुरू किया। हालांकि इस दौरान भी कई रुकावटें आईं। साथ ही लगातार हो रहे सीजफायर उल्लंघन (Ceasefire Violation) का नतीजा यह हुआ कि साल 1999 में एक बार फिर दोनों देश युद्ध के लिए आमने-सामने आ गए। इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी की पहल के बाद भारत और पाकिस्तान ने साल 2003 में एलओसी पर एक औपचारिक युद्धविराम का ऐलान किया था।
भारत और पाकिस्तान के बीच 25 नवंबर, 2003 की आधी रात से युद्धविराम लागू हुआ था। भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किया कि सीजफायर पर चली एक हफ्ते की बैठक के बाद अंतिम रूप दे दिया गया है। इस बैठक में भारत और पाकिस्तान के सेना के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। विदेश मंत्रालय के अनुसार 450 मील लंबी एलओसी, अंतरराष्ट्रीय सीमा और सियाचिन ग्लेशियर पर भी सीजफायर समझौता लागू हुआ। इसका मकसद एलओसी पर 90 के दशक से जारी गोलीबारी को बंद करना था।
ये भी देखें-
इस समझौते की एक वजह और भी थी कि साल 1989 से 2003 तक सीमा पर जारी गोलीबारी में दोनों देशों के 65,000 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी। इस समझौते से दो दिन पहले पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री मीर जफरुल्ला खान जमाली ने ईद के मौके पर युद्धविराम (Ceasefire) की पेशकश की थी। युद्धविराम के बाद ईद की मिठाईयां भी बांटी गई थीं।
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