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War of 1965: 6 सितंबर को हमने लाहौर और सियालकोट को निशाना बनाया था। इस हमले के साथ ही सीमा पार बड़े हमले कर दुश्मन देश को जवाब दिया गया था।
भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 (War of 1965) में भीषण जंग लड़ी गई थी। पाकिस्तान को इस युद्ध में बुरी तरह से हार का मुंह देखना पड़ा था। पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सेना (Indian Army) के शौर्य को यादकर पाकिस्तान आज भी थर-थर कांप उठता होगा।
इस युद्ध में पाकिस्तान भारत को कमजोर समझ रहा था, लेकिन हमारे जवान पहले से ज्यादा जोश के साथ दुश्मनों के खिलाफ लड़े थे। दरअसल, पाकिस्तान सोच रहा था कि 1962 में चीन से हार के बाद भारतीय सेना कमजोर है। ऐसे में कश्मीर पर कब्जा किया जा सकता है। पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सेना की इस लड़ाई से जुड़ी कई अहम बातें हैं जिन्हें हर एक देशवासी को जाननी चाहिए।
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इनमें से पहली अहम बात यह है कि पाकिस्तान ने भारतीय सरजमीं पर पहले घुसपैठ की थी। जिसके जवाब में 28 अगस्त को भारतीय फौज ने पाकिस्तान में दाखिल होकर हाजी पीर और दूसरी पोस्ट पर कब्जा कर किया था। 1 सितंबर, 1965 को पाकिस्तान ने ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम लॉन्च कर जंग को और बढ़ा दिया था।
6 सितंबर को हमने लाहौर और सियालकोट को निशाना बनाया था। इस हमले के साथ ही सीमा पार बड़े हमले कर दुश्मन देश को जवाब दिया गया था। इसके बाद 22 सितंबर को यूनाइटेड नेशनंस सिक्योरिटी काउंसिल की दखलंदाजी के बाद दोनों मुल्कों के बीच संघर्ष विराम के ऐलान हुआ था।
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इस युद्ध (War of 1965) में 2,862 भारतीय सैनिक और 5,800 पाकिस्तानी फौजियों की जान गई थी। 1,900 वर्ग किलोमीटर पाकिस्तानी इलाका हिंदुस्तान ने जीता, जबकि पाकिस्तान के हाथ 540 वर्ग किलोमीटर आया था।
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