देश ने बीते 10 साल में खो दिए 1150 जवान, नक्सलियों की साजिश का हुए शिकार, जानें लाल आतंक की कहानी

बीते 10 साल की बात करें तो 8 अक्टूबर 2009 के दिन महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में लाहिड़ी पुलिस थाने पर नक्सली हमले में हमारे 17 जवान शहीद हो गए थे।

Naxalites

सांकेतिक तस्वीर।

Biggest Naxal Attacks: बीते 10 साल की बात करें तो 8 अक्टूबर 2009 के दिन महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में लाहिड़ी पुलिस थाने पर नक्सली (Naxalites) हमले में हमारे 17 जवान शहीद हो गए थे। 

नक्सलियों को इस देश का सबसे बड़ा दुश्मन कहा जाए तो कोई हैरानी नहीं होगी। बीते 10 साल के भीतर ही नक्सलियों ने हमारे 1150 जवानों की जान ले ली है। यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा और न जाने आने वाले समय में और कितने वीर सपूत नक्सलियों के निशाने पर आएंगे।

देश में रहकर देश की रोटियां तोड़ने वाले इन नक्सलियों को हमारे जवान इनके गढ़ में घुसकर मारते आए हैं। हमारे जवान अक्सर एंटी नक्सल ऑपरेशन के दौरान शहीद होते रहे हैं लेकिन कई बार नक्सलियों (Naxalites) ने घात लगाकर हमारे जवानों पर अचानक वार किए हैं। ऐसे में कई जवान बिना लड़े ही शहीद हुए हैं। हमारे एक-एक जवान की शहादत देशावासियों का खून खौला देती है।

नक्सलियों ने ऐसे कई मौकों पर देशवासियों को आगबबूला किया है। पिछले 10 साल में अब तक 1150 सुरक्षाकर्मी नक्‍सल विरोधी अभियान में शहीद हो गए हैं और 1300 से ज्‍यादा घायल हुए हैं। पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी से शुरू हुआ नक्‍सलवाद अब देश के 11 राज्‍यों के 90 जिलों में फैल गया है।

बीते 10 साल की बात करें तो 8 अक्टूबर 2009 के दिन महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में लाहिड़ी पुलिस थाने पर नक्सली हमले में हमारे 17 जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद अगले ही साल 15 फरवरी 2010 के दिन पश्चिम बंगाल के सिल्दा में करीब 100 नक्सलियों ने पुलिस कैंप धावा बोल दिया था। इस हमले में 24 जवान की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद अप्रैल माह में ओडिशा के कोरापुट जिले में पुलिस की एक बस पर हमला किया गया जिसमें 10 जवान मारे गए।

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6 अप्रैल 2010 के दिन दंतेवाड़ा जिले के चिंतलनार जंगल में केंद्री रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) जवानों पर हमला किया गया था। इस हमले में हमारे 75 जवान शहीद हो गए थे। इस हमले को अबतक का सबसे बड़ा नक्सली हमला कहा जाता है। एकसाथ 75 जवानों की शहादत से पूरा देश गुस्से में था।

25 मई 2013 के दिन छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले कांग्रेस नेताओं के काफिले पर हमला किया गया था। इस हमले में कांग्रेस के बड़े नेताओं समते कुल 29 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था। इस दौरान नक्सलियों ने लाशों के पास ही जीत का जश्न मनाया था। इसके बाद 13 मार्च 2018 के दिन छत्‍तीसगढ़ के सुकमा जिले में सीआरपीएफ की 212वीं बटालियन को निशाना बनाया गया जिसमें 9 जवान शहीद हो गए थे। वहीं 4 अप्रैल 2019 के दिन 4 अप्रैल कोबस्‍तर में नक्‍सलियों ने चार बीएसएफ जवानों की हत्‍या कर दी थी।

ये तो वे बड़े हमले थे जिन्होंने काफी सुर्खियां बटोरी और देशवासियों का खून खौला दिया था। वर्ना नक्सली हमलों से जुड़े ऐसे हत्याओं के मामले हर तीसरे चौथे दिन सुनने को मिलते रहे हैं। इस हिसाब से अबतक कुल 1150 जवानों ने शहादत देकर नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब देने की कोशिश की है। सरकार का कहना है कि 2023 तक नक्सलियों का सफाया हो जाएगा। इसके लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार मिलकर नक्सलियों के खिलाफ एकजुट है।

ये है लाल आतंक: नक्सलियों (Naxalites) की विचारधारा है कि सरकार से अपना हक छीना जाता है क्योंकि सरकार खुद कुछ नहीं देती। इसके लिए हथियार का सहारा भी उठाना पड़ जाए तो पीछे नहीं हटना चाहिए। नक्सली इसी विचारधारा को फॉलो करते आ रहे हैं। नक्सलवाद की समस्या से भारत 50 से ज्यादा सालों से जूझ रहा है। बंगाल से शुरू हुई यह समस्या अब देश के कई राज्यों में फेल चुकी है।

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