
आज देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) का ‘शौर्य दिवस’ है। 9 अप्रैल की तारीख को CRPF हर साल अपने ‘शौर्य दिवस’ के रूप में मनाती है। आज के दिन CRPF के जवानों ने वह शौर्य दिखाया था जो स्वर्णिम अक्षरों में भारत के इतिहास में दर्ज हो गया।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने CRPF को ट्वीट कर ‘शौर्य दिवस’ बधाई दी है। उन्होंने लिखा है, “देश की सुरक्षा में तैनात CRPF के शूरवीरों ने अपने पराक्रम और राष्ट्रभक्ति से 09/04/1965 को गुजरात के सरदार पोस्ट पर स्वर्णिम इतिहास लिखा था। उस असामान्य वीरता और बलिदान के स्मरण में मनाए जाने वाले ‘शौर्य दिवस’ की सभी को बधाई व शहीदों को श्रद्धांजलि।”
देश की सुरक्षा में तैनात @crpfindia के शूरवीरों ने अपने पराक्रम और राष्ट्रभक्ति से 09/04/1965 को गुजरात के सरदार पोस्ट पर स्वर्णिम इतिहास लिखा था। उस असामान्य वीरता और बलिदान के स्मरण में मनाए जाने वाले ‘शौर्य दिवस’ की सभी को बधाई व शहीदों को श्रद्धांजलि।
— President of India (@rashtrapatibhvn) April 9, 2020
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सीआरपीएफ (CRPF) के ‘शौर्य दिवस’ पर बल के साहस की सराहना की और कहा कि वीर शहीदों के बलिदान को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा। मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘सीआरपीएफ का साहस विख्यात है। सीआरपीएफ के ‘शौर्य दिवस’ पर मैं इस बहादुर बल को सलाम करता हूं और गुजरात में सरदार चौकी पर 1965 में सीआरपीएफ कर्मियों की वीरता को याद करता हूं।’’
The courage of @crpfindia is widely known. On CRPF Valour Day today, I salute this brave force and remember the bravery of our CRPF personnel in Gujarat’s Sardar Patel Post in 1965. The sacrifices of the brave martyrs will never be forgotten.
— Narendra Modi (@narendramodi) April 9, 2020
क्यों मनाते हैं ‘शौर्य दिवस’: 9 अप्रैल, 1965 को सीआरपीएफ (CRPF) के जांबाज जवानों के एक छोटे दल ने गुजरात में कच्छ के रण के पास सरदार चौकी पर पाकिस्तान की एक ब्रिगेड के हमले को नाकाम कर दिया था। दुश्मनों की इस ब्रिगेड में 3000 जवान से अधिक सैनिक थे। इसमें सीआरपीएफ (CRPF) के जवानों ने 34 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया था और 4 सैनिकों को जिंदा पकड़ लिया था। पाकिस्तान ने 14 घंटे में तीन बार हमला करने का प्रयास किया, लेकिन सीआरपीएफ (CRPF) के बहादुरों ने उनके मंसूबे पूरे नहीं होने दिए।
सुबह 3 बजे पाकिस्तान ने कर दिया हमला: अप्रैल 1965 में पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सीमा की एक सैनिक चौकी पर हमला करने की योजना बनाई। पाकिस्तानी सेना का मकसद भारतीय भू-भाग पर कब्जा करना था। इसके लिए उन्होंने ऑपरेशन डेजर्ट हॉक शुरू किया था। 9 अप्रैल, 1965 की सुबह 3 बजे पाकिस्तान की 51 ब्रिगेड ने अपने 3500 सैनिकों के साथ रण ऑफ कच्छ की ‘टाक’ और ‘सरदार पोस्ट’ पर हमला कर दिया। उस दौरान सीआरपीएफ और गुजरात राज्य पुलिस फोर्स को यहां पर तैनात किया गया था। सीआरपीएफ की दूसरी बटालियन की चार कंपनियां इस इलाके में सीमा पर तैनात थीं।
बेटे को ताबुत में देख पिता हो गए बेसुध, मुठभेड़ पर जाने के घंटे भर पहले ही की थी बात
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p style=”text-align: justify;”>14 घंटे तक चला भीषण युद्ध: पाकिस्तान की एक पूरी इंफेन्ट्री ब्रिगेड ने सरदार और टॉक चौकियों पर हमला कर दिया था। करीब 14 घंटे तक यह भीषण युद्ध चलता रहा। सीआरपीएफ (CRPF) के जवानों ने विशाल ब्रिगेड का डट कर मुकाबला किया और उसे सीमा से वापस खदेड़ दिया। पाकिस्तान के पास तोपें भी थीं, जबकि सीआरपीएफ जवानों के पास सामान्य हथियार थे। फिर भी हमारे शूरमाओं ने पाकिस्तान के 34 सैनिक मार गिराए, जिनमें दो अफसर भी शामिल थे और चार को जिंदा पकड़ लिया। इस युद्ध में सीआरपीएफ के 6 जवानों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी।
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