छत्तीसगढ़ का सिंघम: नक्सलियों के लिए खौफ का दूसरा नाम है इंस्पेक्टर लक्ष्मण केवट, जानें पूरी कहानी

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में नक्सलियों (Naxalites) के लिए खौफ का दूसरा नाम है इंस्पेक्टर लक्ष्मण केवट (Inspector Laxman Kewat)। नक्सल मोर्चे पर तैनात इंस्पेक्टर लक्ष्मण केवट 100 से अधिक मुठभेडों में कुशल नेतृत्व कर चुके हैं।

Inspector Laxman Kewat

इंस्पेक्टर लक्ष्मण केवट। (फाइल फोटो )

लक्ष्मण केवट (Inspector Laxman Kewat) की पहली पोस्टिंग साल 2007 में हेड कांस्टेबल के रूप में सूरजपुर में हुई थी। पांच साल बाद बतौर सब इंस्पेक्टर उनका तबादला धुर नक्सल प्रभावित जिले बीजापुर में हो गया।

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में नक्सलियों (Naxalites) के लिए खौफ का दूसरा नाम है इंस्पेक्टर लक्ष्मण केवट (Inspector Laxman Kewat)। नक्सल मोर्चे पर तैनात इंस्पेक्टर लक्ष्मण केवट 100 से अधिक मुठभेड़ों में कुशल नेतृत्व कर चुके हैं। उनके नाम 41 एनकाउंटर दर्ज हैं। इन्होंने जिन नक्सलियों को ढेर किया, उनमें से कई लाखों रुपए के इनामी और खूंखार थे।

चार बार मिल चुका है राष्ट्रपति वीरता पुरस्कार: लक्ष्मण को उनकी बहादुरी के लिए चार बार राष्ट्रपति वीरता पुरस्कार मिल चुका है। वर्तमान में वे राजनांदगांव जिले के अंतर्गत धुर नक्सल प्रभावित इलाका गातापार जंगल थाने में बतौर टीआइ तैनात हैं। इंस्पेक्टर लक्ष्मण का संकल्प नक्सलवाद को खत्म करने का है।

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एनकाउंटर स्पेशलिस्ट: लक्ष्मण केवट (Inspector Laxman Kewat) की पहली पोस्टिंग साल 2007 में हेड कांस्टेबल के रूप में सूरजपुर में हुई थी। पांच साल बाद बतौर सब इंस्पेक्टर उनका तबादला धुर नक्सल प्रभावित जिले बीजापुर में हो गया। यहीं से उन्होंने नक्सलियों के खिलाफ जंग शुरू की। लक्ष्मण बीजापुर जिले में हुईं 19 मुठभेड़ों में 28 और राजनांदगांव जिले की छह मुठभेड़ों में 13 हार्डकोर नक्सलियों को ढेर कर एनकाउंटर स्पेशलिस्ट बनकर उभरे। उनकी बहादुरी से प्रभावित होकर विभाग ने साल 2014 में प्रोमोट कर उन्हें निरीक्षक बना दिया।

हिलाकर रख दी नक्सलियों की नींव: राजनांदगांव जिले के गातापार जंगल थाने में तैनाती के दौरान इंस्पेक्टर लक्ष्मण केवट (Inspector Laxman Kewat) ने साल्हेकसा-दरेकसा क्षेत्र में सक्रिय नक्सलियों के टांडा दलम की जड़ हिलाकर रख दी। दलम की सचिव और डीवीसी कमांडर जमुना और सरिता को ढेर करने के साथ ही उन्होंने हार्डकोर नक्सली पहाड़ सिंह को भी गिरफ्तार किया था। इन सभी नक्सलियों पर कुल एक करोड़ रुपये से भी अधिक का इनाम घोषित था।

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इनको किया ढेर: 8 अगस्त, 2014 को बीजापुर जिले के जांगला थाने के पोटेनर-टिटोपारा जंगल में हुई मुठभेड़ में उन्होंने खूंखार रोनी उर्फ गोरी पुनेम और मड़काम रामबती को मार गिराया था। 16 जुलाई, 2016 को बीजापुर के उसुर थाना क्षेत्र के ग्राम पाउरगुड़ा जंगल में खूंखार नक्सली आयता मुचकी, लच्छा मड़काम और माडवी हुंडा को ढेर किया था। उसके बाद 19 मार्च, 2019 को राजनांदगांव के गातापार थाना के भावे जंगल में जमुना उर्फ सागेन बाई को और 3 अगस्त, 2019 को राजनांदगांव के बाघनदी थाना के सीतागोटा-शेरपार जंगल में सुखदेव उर्फ लक्ष्मण, परमिला बाई, मीना माडवी और रितेश उर्फ हितेश को इंस्पेक्टर लक्ष्मण केवट (Inspector Laxman Kewat) ने मार गिराया।

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खुद संभालते हैं ऑपरेशन की कमान: ज्यादातर ऑपरेशनों की कमान इंस्पेक्टर लक्ष्मण केवट (Inspector Laxman Kewat) ने खुद संभाली है। रणनीति भी खुद तैयार करते हैं। लक्ष्मण बेहद सतर्कता, चतुराई और कुशलता से अपनी टीम का नेतृत्व करते हैं। मोर्चा लेते समय उनकी बहादुरी और सूझबूझ शत्रु पर भारी पड़ जाती है। नक्सलियों के खिलाफ चलाए गए अभियान पर वह कहते हैं कि मरना तो सभी को एक दिन है, फिर डरना क्यों। देश के लिए मर मिटने का जज्बा हर किसी में होना चाहिए।

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