छत्तीसगढ़: DRG के जवानों से थर-थर कांपते हैं नक्सली, जानें चुनौतियों के बीच कैसे काम करती है ये फोर्स

नक्सलियों पर नकेल कसने में सबसे आगे DRG (District Reserve Guard) के जवान होते हैं। ये एक ऐसी फौज है, जिसे नक्सलियों को धूल चटाने के लिए ही बनाया गया था।

DRG

जवानों की पहचान छुपाने के लिए फोटो ब्लर किया गया है। (फोटो क्रेडिट- अभिषेक सिंह, बीजापुर डीएसपी)

बीजापुर में हुए नक्सली हमले में अगर DRG के जवान मोर्चा नहीं संभालते तो नक्सलियों द्वारा रचे गए एंबुश (हमला करने की रणनीति) से बाकी जवानों को काफी नुकसान पहुंचता। ये जानकारी बीजापुर के DSP अभिषेक सिंह ने दी है। 

बीजापुर: छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों की ओर से नक्सलियों के खिलाफ ताबड़तोड़ अभियान चलाया जा रहा है। सुरक्षाबलों के जवान नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वो कौन सी फोर्स के जवान हैं, जिन्हें देखकर नक्सली थर-थर कांपते हैं?

नक्सलियों पर नकेल कसने में सबसे आगे DRG (District Reserve Guard) के जवान होते हैं। ये एक ऐसी फौज है, जिसे नक्सलियों को धूल चटाने के लिए ही बनाया गया था। नक्सली भी अपना पहला निशाना DRG के जवानों को ही बनाते हैं, क्योंकि नक्सली ये बात जानते हैं कि उन्हें सबसे ज्यादा खतरा DRG के जवानों से ही है।

कब हुआ DRG का गठन

बस्तर का क्षेत्र करीब 40 हजार वर्ग मीटर में फैला है। यहां के 7 जिलों के कई इलाके नक्सल प्रभावित हैं। ऐसे में नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए साल 2008 में DRG के गठन की शुरुआत हुई।

डीआरजी के जवानों को सबसे पहले कांकेर और नारायणपुर जिलों में नक्सलियों के खिलाफ उतारा गया। इसके बाद साल 2013 में बीजापुर और बस्तर में इसका गठन किया गया। साल 2014 में सुकमा और कोंडागांव और 2015 में इसे दंतेवाड़ा में भी नक्सलियों के खिलाफ उतारा गया।

दरअसल नक्सली बड़े और घने जंगलों में अपना ठिकाना बनाते हैं। ऐसे में नक्सलियों से गुरिल्ला युद्ध में बाहरी जवानों को काफी नुकसान पहुंचता था। इस समस्या से निपटने के लिए और नक्सलियों को मात देने के लिए डीआरजी का गठन किया गया।

DRG में शामिल होते हैं लोकल लड़के और सरेंडर करने वाले नक्सली 

DRG में लोकल लड़के और सरेंडर कर चुके नक्सली होते हैं। ये लड़के नक्सली इलाकों के रहने वाले हैं, इसलिए इन्हें जंगल के बारे में काफी गहरी जानकारी होती है और इनका इंटेलीजेंस नेटवर्क भी काफी तगड़ा होता है।

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अगर बात शौर्य और पराक्रम की हो तो बस्तर के DRG के जवानों को देखकर आप दांतों तले उंगली दबा लेंगे। 5-5 फीट की लंबाई के ये जवान नक्सलियों द्वारा की जा रही फायरिंग के बीच चीते की चाल चलते हैं और नक्सलियों को उनके घर में घुसकर मारते हैं। इनके हौसले का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अगर इनके दाहिने हाथ में गोली लग जाए तो ये बांए हाथ से गोली दागकर अपने दुश्मन को ढेर कर देते हैं।

3 अप्रैल को DRG ने संभाला था नक्सलियों के खिलाफ मोर्चा

3 अप्रैल 2021 को बीजापुर में हुए नक्सली हमले में DRG के जवानों ने दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दिया था। अगर मौके पर DRG के जवान नहीं होते तो नक्सलियों द्वारा रचे गए एंबुश (हमला करने की रणनीति) से बाकी जवानों को काफी नुकसान पहुंचता। इस नक्सली हमले में DRG के कई जवानों ने शहादत दी है। ये जानकारी बीजापुर के DSP अभिषेक सिंह ने दी है। 

इस नक्सल ऑपरेशन के बाद COBRA के जवान भी DRG के जवानों के पराक्रम को देखकर दंग रह गए। उम्मीद है कि यही DRG के जवान नक्सलियों को जड़ से उखाड़ने में अहम भूमिका अदा करेंगे। बस्तर अब वॉर जोन बन गया है और इस महाभारत के अर्जुन DRG के जवान ही हैं।

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