War of 1965: छाती से बम बांधकर उड़ा दिया था अमेरिकी टैंक, जानें शहीद विजय सिंह की बहादुरी की कहानी

War of 1965: युद्ध में एक वक्त ऐसा भी आया जब हमारे एक वीर सपूत ने छाती पर बम बांधकर दुश्मनों को खाक कर दिया और खुद देश के लिए शहीद हो गए।

Vijay Singh

शहीद नायक रिसालदार विजय सिंह।

War of 1965: युद्ध में एक वक्त ऐसा भी आया जब नायक रिसालदार विजय सिंह (Vijay Singh) ने छाती पर बम बांधकर दुश्मनों को खाक कर दिया और खुद देश के लिए शहीद हो गए।

भारत और पाकिस्तानबीच 1965 में लड़े गए युद्ध (War of 1965) में इंडियन आर्मी (Indian Ar के my) ने जबरदस्त पराक्रम दिखाया था। सेना ने हर मोर्चे पर पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर किया था। पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ 1965 में यह सोचकर युद्ध लड़ा था कि चीन से हारने के बाद भारत के हौसले कमजोर होंगे।

भारत 1962 में चीन से तो हार गया था, लेकिन सेना के जवानों में हार का गुस्सा भरा हुआ था। भारतीय सेना ने युद्ध में ऐसा शौर्य दिखाया था जिसे याद कर पाकिस्तानी सेना के जवान आज भी कांप उठते होंगे।

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1965 के युद्ध में एक वक्त ऐसा भी आया जब हमारे एक वीर सपूत ने छाती पर बम बांधकर दुश्मनों को खाक कर दिया और खुद देश के लिए शहीद हो गए। इस वीर योद्धा थे सिरसा के गांव लुदेसर के शहीद नायक रिसालदार विजय सिंह (Vijay Singh)।

दरअसल, युद्ध में पाकिस्तान ने अमेरिकी पेंटागन टैंक किया था। भारतीय सैनिक सियालकोट से 13 किलोमीटर की दूरी पर पहुंचे। पाक ने आगे टैंक खड़े कर रखे थे। टैंक के बीच हमारे सैनिकों को आगे बढ़ने में परेशानी हो रही थी। ऐसे में 36 वर्षीय नायक रिसालदार विजय सिंह ने अपनी छाती पर बम बांध लिया और ‘भारत माता की जय’ नारा लगाकर टैंक के आगे छलांग लगा दी। देखते ही देखते टैंक के परखचे उड़ गए।

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पाकिस्तान को भारी नुकसान हुआ और उसके कुछ सैनिक भी मारे गए। विजय सिंह ने बहादुरी की मिसाल पेश करते हुए देश के लिए अपनी जान दी। इस हमले के बाद भारतीय सेना आगे बढ़ी और तमान चुनौतियों को पार करते हुए दुश्मनों को ढेर कर हराया। उनके गांव में बने मेमोरियल वार में आज भी उनकी गौरव गाथा लिखी हुई है।

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