सांकेतिक तस्वीर।
अपने नापाक मंसूबों को पूरा करने के लिए नक्सली (Naxalites) अब बच्चों का सहारा ले रहे हैं। वे बच्चों को ‘इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस’ यानी आईईडी ब्लास्ट तैयार करने की ट्रेनिंग दे रहे हैं।
नई दिल्ली: नक्सलियों (Naxalites) के खिलाफ देशभर में अभियान चलाया जा रहा है। सुरक्षाबल ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रहे हैं। ऐसे में नक्सल क्षेत्रों में सुरक्षाबलों की पकड़ मजबूत हो रही है।
इस बात का अंदाजा ऐसे लगाया जा सकता है कि वामपंथी हिंसा की घटनाओं का आंकड़ा 2009 में 2259 था, अब इस संख्या में 70 फीसदी की कमी आई है। ये संख्या 2020 में घटकर केवल 655 रह गई है। इन कार्रवाईयों से नक्सली बौखलाए हुए हैं।
अपने नापाक मंसूबों को पूरा करने के लिए नक्सली (Naxalites) अब बच्चों का सहारा ले रहे हैं। वे बच्चों को ‘इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस’ यानी आईईडी ब्लास्ट तैयार करने की ट्रेनिंग दे रहे हैं।
जानकारी मिली है कि सुरक्षाबलों की मुस्तैदी से नक्सल संगठन नई भर्ती नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में वह बच्चों को आईईडी लगाने और विस्फोट करने की ट्रेनिंग दे रहे हैं। नक्सली बच्चों को अपना सॉफ्ट हथियार बनाकर जंगल में उतार रहे हैं।
छत्तीसगढ़: बीजापुर में पुलिस को मिली बड़ी सफलता, एक-एक लाख रुपए के 3 इनामी नक्सलियों को दबोचा
केंद्रीय गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, इस रिपोर्ट को केंद्र सरकार को भेजा गया है और सुरक्षाबलों को इस मामले की जानकारी दी गई है।
दरअसल बच्चों को आईईडी ट्रेनिंग देने का एक मकसद ये भी है कि बच्चों पर कोई जल्दी शक नहीं करता और वह आसानी से एक जगह से दूसरी जगह जा सकते हैं। इसके अलावा नक्सली बच्चों के स्कूली बैग में आईईडी तैयार करने की चीजें छिपाते हैं, जिससे किसी की इन पर नजर नहीं पड़ती।
ये बच्चे गांव के बच्चों के साथ घुले-मिले रहते हैं लेकिन बाकी बच्चों को इस बात का अंदाजा नहीं होता कि ये बच्चा नक्सली समूह का हिस्सा है।
Hindi News के लिए हमारे साथ फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर जुड़ें और डाउनलोड करें Hindi News App