Naxal

बिहार के रजौली में हुए मुठभेड़ में नक्सलियों ने पाकिस्तान में निर्मित एके-47 की गोलियों का इस्तेमाल क्या था। आखिर किस रास्ते से दुश्मन गोला-बारूद भेज रहा है और देश के कौन-कौन से संगठन इस खेल में शामिल हैं?

अब स्थानीय कैडरों का नक्सलवाद से मोह भंग हो रहा है। वे मुख्यधारा से जुड़ने लगे हैं और क्षेत्र के विकास की बात भी कर रहे हैं।

किसी का भाई शहीद हुआ तो किसी का पति, घड़ी मातम की थी लेकिन सब मातम ही मनाते रह जाएंगे तो भला देश की हिफाजत कौन करेगा। लिहाजा, इन बेटियों ने पहन ली वर्दी और डर गईं मोर्चे पर।

नक्सलियों के आतंक पर भारी पड़ रहा छत्तीसगढ़ के ग्रामीणों का जज्बा।

इन हथियारों की तस्करी का मामला तब खुला जब बिहार की पूर्णिया पुलिस ने गैंग के मास्टरमाइंड मुकेश सिंह को गिरफ्तार किया। वह झारखंड के नक्सलियों व उग्रवादियों को हथियारों के साथ बुलेटप्रूफ जैकेट भी सप्लाई कर रहा था।

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 330 किलोमीटर दूर बसा यह गांव राष्ट्रसेवा में हमेशा आगे रहा है। इस गांव से लगभग पचास लोग सेना और अर्धसैनिक बल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

सीपीआई-माओवादी को विश्व का चौथा सबसे खतरनाक संगठन करार देते हुए 2018 की अमेरिकी स्टडी में कहा गया कि भारत में हुए 53 प्रतिशत हमलों में इसका हाथ रहा है।

साथियों को बचाने के लिए सीआरपीएफ के असिस्टेंट कमान्डेंट नागसेप्पम मनोरंजन सिंह ने अपने सीने पर खाई गोलियां।

नए मुखिया के कमान संभालने के बाद नक्सली संगठन में सीनियर नक्सलियों का कद घटता जा रहा है। यही फूट की वजह बन रहा है।

कुछ दशक पहले जो एक नक्सलवादी था आज वह रिवर-वॉरियर है। इस नदी को बचाने की खातिर इन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी लगा दी।

बंदूक और आतंक के सहारे सत्ता परिवर्तन का ख़्वाब देखने वाले नक्सली भी देर-सबेर प्यार में पड़ ही जाते हैं। कुछ का प्रेम परवान चढ़ता है, कुछ पुलिस की गिरफ्त में जा फसंते हैं या गोलियों का शिकार हो जाते हैं तो कुछ लोग संगठन को ही हमेशा के लिए अलविदा कह देते हैं।

मुंबई में वेटर की नौकरी के दौरान शोषण से तंग आकर नक्सली बना। एक महिला नक्सली से प्रेम विवाह किया। हिंसा से इतनी मोहब्बत हो गई कि उसके लिए अपनी पत्नी को तलाक दे दिया। फिर खुद नक्सलियों के शोषण से आजिज आकर 25 लाख रुपए के इस वांटेड नक्सली ने सरेंडर कर दिया।

मातृभूमि के प्रति प्यार और सर्वोच्च बलिदान के लिए उनकी तत्परता ने हमारे वीर जवानों की छोटी-सी टुकड़ी को दुश्मनों पर वार करते रहने के लिए हिम्मत दी। उन्होंने दुश्मनों के नापाक इरादों को ध्वस्त करने के लिए अंत तक मोर्चा संभाले रखा।

खून-खराबा करने वाले नक्सलियों को अब विकास की चिंता सताने लगी है। छत्तीसगढ़ के बीजापुर में उन्होंने एक पर्चा जारी करके विकास के लिए 17 सूत्रीय मांग रखी है।

जहां कभी दहशत पलती थी, जहां के जंगलों में नक्सलियों के ट्रेनिंग कैंप हुआ करते थे और जहां टूरिस्ट भी डर के साये में भगवान के दरबार में पूजा किया करते थे... वहां अब शांति, सौहार्द और अहिंसा के फूल खिल रहे हैं

कहानी एक ऐसे शख्स की जो पहले नक्सली था, वर्दी देखते ही उसका खून खौल उठता था। वर्दी के चिथड़े उड़ाना उसका पेशा था। आज वो पुलिस की वर्दी सिलता है।

"नक्सली संगठन में हमें इंसानों को निशाना बनाने के लिए सिखाया गया था। पर यहां सब-कुछ बहुत अलग है। यहां किसी भी निर्दोष को निशाना नहीं बनाया जाता। यहां बच निकलने या भागने के लिए नहीं सिखाया जाता, बल्कि सामना करने के लिए सिखाया जाता है।"

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