
नंदे मंडावी उर्फ लाली पर कई संगीन वारदातों में शामिल होने का आरोप है।
सरकार की ओर से चलाए जा रहे पुनर्वास योजनाओं से प्रभावित होकर अब तक कई नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। उन्हें समझ आ गया है कि उनकी खून-खराबे वाली जिंदगी की उम्र ज्यादा नहीं है। इसलिए वे अब आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा से जुड़ना चाहते हैं। चैन की जिंदगी जीना चाहते हैं। इसी क्रम में अपने इलाज के लिए जिला हॉस्पिटल पहुंची पांच लाख की इनामी एक महिला नक्सली ने आत्मसमर्पण कर दिया। वह सुकमा जिले के नक्सल संगठन केरलापाल एरिया कमेटी की सदस्य और सीएनएम अध्यक्ष के रूप में काम कर रही थी। आत्मसमर्पण करने के बाद इस महिला नक्सली ने डीआरजी की दंतेश्वरी लड़ाके दल में शामिल होने की इच्छा भी जाहिर की।
एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव के अनुसार, 18 मई को बीमार महिला नक्सली उपचार के लिए दंतेवाड़ा आई थी। जहां डीआरजी की महिला कमांडोज को देखकर उसने आत्मसमर्पण करने की इच्छा जताई। इसके बाद वह पुलिस कार्यालय पहुंची और आत्मसमर्पण कर दिया। बासागुड़ा के चुकवाय गांव की रहने वाली इस महिला नक्सली का नाम नंदे मंडावी उर्फ लाली है। यह बीजापुर और नारायणपुर जिले के कई संगीन वारदातों की आरोपी है। उस पर साल 2014 में चिंतागुफा के कसालपाड़ घटना में शामिल होने का आरोप है। इस वारदात में 14 जवान शहीद हुए थे। इसके अलावा, 2010 में नारायणपुर के झाराघाटी में अपने साथियों के साथ पुलिस कर्मियों पर फायरिंग की भी आरोपी है। इस गोलीबारी में पांच पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे।
दरअसल, केरलापाल सीएनएम अध्यक्ष लाली अपना इलाज कराने के लिए जिला अस्पताल पहुंची थी। सूचना पर डीआरजी महिला कमांडो टीम ने घेराबंदी कर उसे पकड़ लिया। महिला कमांडो की टीम में लाली को सरेंडर नक्सली सुंदरी मिल गई। सुंदरी ने लाली को खुद के बारे में बताया। इससे लाली इतनी प्रभावित हुई कि नक्सल संगठन छोड़ पुलिस की दंतेश्वरी फाइटर्स में शामिल होने की इच्छा जताई। एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव ने लाली की इच्छा पर उसका सरेंडर कराया। सरेंडर के बाद लाली ने बताया कि वह कई दिनों से बीमार है। नक्सल संगठन में इलाज नहीं मिल पा रहा था। इससे समस्या और भी ज्यादा बढ़ रही थी। अस्पताल जाने के लिए नक्सली हमेशा रोकते थे।
मौका देखकर वह दंतेवाड़ा जिला अस्पताल आई। सुकमा में उपचार करा पाना नक्सलियों के कारण संभव नहीं था। हालांकि, लाली ने बताया कि उसने दंतेवाड़ा में महिला कमांडो की टीम के बारे में सुना था। जिसमें सरेंडर नक्सली को भी रखा जा रहा है। यहां पर उसे सरेंडर कर चुकी सुंदरी व सुशीला भी मिली। दोनों ही शीर्ष कैडर की नक्सली रह चुकी हैं। ये सभी उसकी गिरफ्तारी के लिए आई थीं। उनसे बात करने के बाद वह काफी प्रभावित हुई और तय किया कि महिलाओं की डीआरजी टीम का हिस्सा बनेगी। महिला नक्सली ने बताया कि वह इंसास, 12 बोर हथियार रखती थी और चलाना भी जानती है।
नक्सलियों ने काफी प्रताड़ना भी दी है। अब ये हथियार वह उन्हीं के खिलाफ उठाएगी। सरेंडर करने वाली महिला नक्सली लाली ने नक्सलियों के अत्याचारों के बारे में खुलकर बाताया। लाली ने बताया कि साल 2007 में नक्सल संगठन में रहते हुए दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के सीएनएम अध्यक्ष अर्जुन से शादी हुई थी। शादी के दो सालों के बाद 2009 में गर्भवती हो गई। इसकी खुशी भी थी और डर भी था कि अगर नक्सलियों को पता चल गया तो क्या होगा। पति ने नक्सलियों को ये बात नहीं बताई, लेकिन एक दिन तबीयत बिगड़ी तो नक्सलियों को पता चल गया।
उस समय लाली 4 महीनों की गर्भवती थी, तब दवाई देकर नक्सलियों ने उसका गर्भपात करवा दिया। उस समय वह काफी टूट चुकी थी, लेकिन संगठन में ही रहकर काम कर रही थी। पति की भी नक्सलियों ने नसबंदी करा दी ताकि दोबारा इन्हें बच्चा न हो। इसके बाद लाली के पति अर्जुन ने मार्च, 2019 में सुकमा पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया। बाद में उसने दूसरी शादी भी कर ली। लाली कहती है कि वह अब अपना घर भी बसाएगी और महिला कमांडो की टीम में शामिल होकर नक्सलियों से अपनी प्रताड़ना का बदला भी लेगी।
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