झारखंड: गिरिडीह में 10-10 लाख के 2 इनामी समेत कई नक्सली गिरफ्तार, गोला-बारूद बरामद

Naxalites: पुलिस ने एक महिला नक्सली को भी गिरफ्तार किया है। इस नक्सली का नाम प्रभा बताया जा रहा है। हालांकि इस मामले में अभी पुलिस ने चुप्पी साधी हुई है।

Naxalites

सांकेतिक तस्वीर

नक्सलियों (Naxalites) के खिलाफ चलाए जा रहे हैं एंटी नक्सल अभियान के तहत नक्सलियों को उनके ही घर में घेरने की कवायद चल रही है। ऐसे में गांवों में पुलिस पिकेट और सीआरपीएफ कैंप का निर्माण प्रस्तावित है।

गिरिडीह: झारखंड में नक्सलियों (Naxalites) के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई जारी है। इस बीच गिरिडीह पुलिस के लिए सिरदर्द बने कई नक्सलियों पर शिकंजा कसने में सफलता हासिल हुई है।

दरअसल गिरिडीह पुलिस 23 दिसंबर की रात से ही इन नक्सलियों (Naxalites) की गिरफ्तारी का ब्लूप्रिंट बना चुकी थी। गिरफ्तार नक्सलियों में सुरेश मांझी और प्रशांत मांझी शामिल हैं। ये दोनों 10-10 लाख के इनामी नक्सली हैं।

हालांकि इस मामले में अभी पुलिस ने चुप्पी साधी हुई है लेकिन आंतरिक सूत्रों से ये बात सामने आई है। सूत्रों की मानें तो पुलिस ने एक महिला नक्सली को भी गिरफ्तार किया है। इस नक्सली का नाम प्रभा बताया जा रहा है।

बता दें कि नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे हैं एंटी नक्सल अभियान के तहत नक्सलियों को उनके ही घर में घेरने की कवायद चल रही है। ऐसे में गांवों में पुलिस पिकेट और सीआरपीएफ कैंप का निर्माण प्रस्तावित है। इसको लेकर पुलिस ने भूमि का लेआउट शुरू कर दिया है। इसे देखते हुए नक्सलियों के पेट में दर्द शुरू हो गया है।

ऐसे में इन नक्सलियों द्वारा ग्रामीणों को मोहरा बनाकर पुलिस कैंप और सीआरपीएफ निर्माण का विरोध करवाया जा रहा है। जबकि वास्तविकता यह है कि इन इन क्षेत्रों में सीआरपीएफ और पुलिस पिकेट खुल जाने से सुदूरवर्ती गांव का विकास ही होगा।

ग्रामीण सूत्रों के अनुसार, जब से पारसनाथ के तलहटी में बसे गांव में पुलिस द्वारा सीआरपीएफ कैंप एवं पुलिस पिकेट निर्माण की बात इन नक्सलियों तक पहुंची है, तब से नक्सलियों द्वारा रात में इन गांवों के ग्रामीणों के साथ बैठक करते हुए विरोध के स्वर को तेज करने की जोर जबरदस्ती शुरू हो गई है।

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आदिवासी बहुल इलाकों में रहने वाले ग्रामीणों के पास करो या मरो के अलावा कोई रास्ता नहीं है। इसलिए इन्होंने नक्सलियों के बहकावे में आकर पुलिस पिकेट और सीआरपीएफ कैंप के निर्माण का विरोध शुरू कर दिया। इसकी शुरुआत मधुबन थाना क्षेत्र के टेसाफुली गांव से 10 दिसंबर से हुई। यहां मांझी हराम के नेतृत्व में टेशाफूली के फुटबॉल मैदान में एक ग्राम सभा आयोजित की गई। इसमें ग्रामीणों द्वारा मुख्यमंत्री के नाम एक आवेदन बनाकर सीआरपीएफ कैंप एवं पुलिस पिकेट के प्रस्तावित निर्माण को रोकने का अनुरोध किया गया।

इस दौरान ग्रामीणों ने हमें बताया कि जान दें देंगे लेकिन जमीन नहीं देंगे। उनका कहना है महिलाएं जब जंगल से सूखी लकड़ी लेने जाती हैं, तो पुलिस उन्हें नक्सली घोषित करते हुए अभद्र व्यवहार करती है। हालांकि इन आरोपों में कितनी सच्चाई है, ये जांच का विषय है।

वहीं 17 दिसंबर को आदिवासी बाहुल्य गांव के ग्रामीणों द्वारा खुखरा थाना क्षेत्र के तुइयो पंचायत के पर्वतपुर में बनने जा रहे सीआरपीएफ कैंप का विरोध प्रदर्शन किया गया था।

ये प्रदर्शन 23 दिसंबर को बड़ी उग्रता के साथ देखने को मिला था। इस दिन पीरटांड़ प्रखंड के विभिन्न आदिवासी गांव के महिला और पुरुष हरवे हथियार के साथ पर्वतपुर में बन रहे सीआरपीएफ कैंप का विरोध करने पहुंचे थे। इस दौरान लगभग हजारों की संख्या में महिला और पुरुषों द्वारा जुलूस सा निकाला गया था। इन्होंने अस्थाई सीआरपीएफ कैंप में घुसकर उपद्रव मचाया था और तोड़फोड़ की थी।
हालांकि पुलिस बल द्वारा इन उपद्रवियों को बाहर निकाल दिया गया था।

इस मौके पर अगर पुलिस संयम तोड़ती तो बड़ी घटना हो सकती थी। लेकिन पुलिस ने बहुत ही समझदारी से इस घटना को टाल दिया। जानकार बताते हैं कि इस बड़े जुलूस में कई इनामी नक्सलियों का शामिल होना महज एक इत्तेफाक था।

जानकार बताते हैं कि पुलिस ने फौरन अपने खुफिया तंत्र को तेज कर दिया था और इस बात की रेकी करवा ली थी कि जुलूस में कितने नक्सली हैं। इसके बाद 2 दिनों में ही 2 बड़े नक्सलियों को पकड़ा गया था। इसमें एक महिला नक्सली भी थी।

इन गिरफ्तार नक्सलियों की निशानदेही पर भारी मात्रा में गोला-बारूद व विस्फोटक बरामद किया गया है।

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