झारखंड: नक्सलियों के किले को ढहाने की तैयारी, इनामी नक्सली अजय महतो के गांव में CRPF ने खोला कैंप

गिरिडीह जिले के पारसनाथ क्षेत्र को पहले नक्सलियों का अभेद किला माना जाता था। यहां के बीहड़ों की आड़ में नक्सलियों को ट्रेनिंग दी जाती थी।

Naxalites

सांकेतिक तस्वीर।

कुछ बड़े और इनामी नक्सली (Naxalites) अभी भी पुलिस की गिरफ्त में नहीं आए हैं। इन नक्सलियों में 25 लाख का इनामी अजय महतो, करमचंद मांझी, धीरेन दा समेत कई नक्सली शामिल हैं।

झारखंड: राज्य में नक्सलियों (Naxalites) के खिलाफ लगातार अभियान चलाया जा रहा है। बीते 5 सालों में पुलिस और सीआरपीएफ की ज्वाइंट कार्रवाई में नक्सलियों की कमर टूट चुकी है।

गिरिडीह जिले के पारसनाथ क्षेत्र को पहले नक्सलियों (Naxalites) का अभेद किला माना जाता था। यहां के बीहड़ों की आड़ में नक्सलियों को ट्रेनिंग दी जाती थी। लेकिन सुरक्षाबलों की ताबड़तोड़ कार्रवाई से नक्सलियों में डर बैठ गया है।

हालांकि कुछ बड़े और इनामी नक्सली अभी भी पुलिस की गिरफ्त में नहीं आए हैं। इन नक्सलियों में 25 लाख का इनामी अजय महतो, करमचंद मांझी, धीरेन दा समेत कई नक्सली शामिल हैं।

जानकारी के मुताबिक, अजय महतो समेत कई इनामी नक्सली, जो राज्य सरकार और गिरिडीह पुलिस के लिए सिरदर्द बने हुए हैं, उन्हें पकड़ने के लिए सीआरपीएफ का कैंप खोला जा रहा है। अजय महतो के गांव में ही सीआरपीएफ का कैंप खुला है।

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बता दें कि गिरिडीह जिले के डुमरी अनुमंडल के अंदर आने वाले पीरटांड़ प्रखंड के पीरटांड़ थाना, मधुबन थाना, खुखरा थाना का ज्यादातर इलाका पारसनाथ पहाड़ के तलहटी के साथ जंगलो से घिरा है। इसलिए इन इलाकों को नक्सली अपना सेफ जोन मानते हैं।

जानकारों का कहना है कि इस इलाके में कई सीआरपीएफ के कैंप हैं। इसके बावजूद पांडे डीह में नक्सली आते-जाते रहते हैं। हालांकि अब पांडे डीह में सीआरपीएफ के कैंप खुल जाने से इन नक्सलियों पर नकेल कसेगी।

कहा जाता है कि पारसनाथ, भाकपा माओवादियों के लिए सेफ जोन है और देश के कई राज्यों के बड़े-बड़े नक्सली यहां पनाह लेते हैं। कहा ये भी जाता है कि देशभर में सबसे ज्यादा नक्सली कैडर पीरटांड़ से ही बने थे।

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